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Jaipur Blast के पीड़ित परिवारों ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की SLP, बोले- हमारे अपनों को न्याय नहीं दिला पाई सरकार

09:30 PM Apr 13, 2023 IST | Jyoti sharma

जयपुर बम ब्लास्ट ( Jaipur Blast) मामले के पीड़ित परिवारों ने आज सुप्रीम कोर्ट में SLP दायर की। इस दौरान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और भाजपा नेता अरुण चतुर्वेदी मौजूद रहे। अध्यक्ष सीपी जोशी के निर्देशन में यह सीएलपी दायर की गई। 

जिन्होंने एसएलपी दायर की उनमें पीड़ित परिवारों के सदस्य राजेश्वरी देवी पत्नी मृतक ताराचंद और अभिनव तिवाड़ी पुत्र मृतक मुकेश तिवाड़ी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की लापरवाही से गुनहगार रिहा हो गए, हम न्यायकी लड़ाई लड़ेंगे। हमारे अपनों को ये सरकार को न्याय नहीं दिला पाई। बता दें कि अभी तक राज्य सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर नहीं की गई है। 

सीपी जोशी के निर्देशन में दायर हुई याचिका

इस मामले पर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सी पी जोशी के निर्देशानुसार पीड़ित परिवारों को भारतीय जनता पार्टी द्वारा क़ानून सहायता उपलब्ध करवाई। सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करते समय याचिकाकर्ताओं के साथ नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ मौजूद रहें।

कल भाजपा ने निकाला था कैंडिल मार्च 

गौरतलब है कि कल रामलीला मैदान से भाजपा नेताओं और पीड़ित परिवारों ने कैंडिल मार्च निकाला था। जिसमें अशोक परनामी, राजेंद्र राठौड़, सीपी जोशी, सतीश पूनिय़ा, अरुण चतुर्वेदी समेत कई नेता शामिल थे। 

चतुर्वेदी ने कल ही कहा था कि आरोपियों को रिहा हुए 16 दिन के बाद भी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कोई भी एसएलपी दायर नहीं की लेकिन अब बीजेपी इन पीड़ितों के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएगी और एसएलपी दायर करेगी। बीजेपी बम ब्लास्ट के आरोपियों के खिलाफ कोर्ट ने पैरवी करेगी लड़ाई लड़ेगी। चतुर्वेदी ने यह भी कहा कि साल 2008 में जयपुर समेत कई जगह बम ब्लास्ट हुए थे लेकिन इन आतंकी हमलों की जांच एनआईए को नहीं सौंपी गई जो कि उस वक्त की सरकार की सबसे बड़ी गलती थी। 

साल 2008 में जयपुर में हुए थे बम धमाके…

बता दें कि 13 मई, 2008 को जयपुर में हुए सीरियल बम ब्लास्ट (Jaipur Blast) में 71 लोगों की मौत होने के साथ ही 185 लोग घायल हुए थे। बम ब्लास्ट मामले में सैर्फुरहमान, मोहम्मद सलमान, सरवर आजमी और सैफ को जयपुर जिला विशेष न्यायालय ने 20 दिसंबर, 2019 को फांसी की सजा सुनाई थी। जिसके खिलाफ चारों ने उच्च न्यायालय में अपील की थी। उच्च न्यायालय ने 29 मार्च को फांसी की सजा पलटते हुए चारों को पुख्ता सबूत नहीं होने पर बरी कर दिया।

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