मौत के 13 साल बाद जेल IG को न्याय, रिटायरमेंट से एक दिन पहले 14 साल पुराने केस में मिली थी चार्जशीट
जयपुर। जरूरतमंदों को त्वरित न्याय दिलाने की चाह से कुछ लोग पुलिस की नौकरी करते है। लेकिन, कई बार ऐसे मौके भी आते हैं जब खुद पुलिस अफसर को न्याय पाने के लिए पूरी जिंदगी लग जाती है। कुछ ऐसा ही मामला राजस्थान की राजधानी जयपुर में सामने आया है। जहां किसी 14 साल पुराने मामले में एक पुलिस अधिकारी को रिटायरमेंट से एक दिन पहले चार्जशीट थमा दी। चार्जशीट का जवाब देने के बाद भी मामला सालों तक चलता रहा। लेकिन, अब उस पुलिस अधिकारी को राजस्थान हाईकोर्ट से न्याय मिला है। लेकिन, उसकी 13 साल पहले ही मौत हो चुकी है।
न्यायमूर्ति जस्टिस अनूप ढंड की बेंच ने मंगलवार को दिवंगत अधिकारी रामानुज शर्मा के बेटे सहित अन्य परिजनों की याचिका को स्वीकार करते हुए उनके रिटायरमेंट से एक दिन पहले उन्हें दी गई चार्जशीट को निरस्त कर दिया है। साथ ही उनकी सजा को निरस्त करते हुए हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को आदेश दिया हैं कि दिवंगत अधिकारी की सजा के रूप में काटी गई पेंशन की राशि को उनके वारिसों को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाई जाएं।
ये है पूरा मामला
जेल आईजी के पद कार्यरत दिवंगत रामानुज शर्मा 30 जून 1991 को रिटायर होने वाले थे। लेकिन, इससे एक दिन पहले ही उन्हें एक 14 साल पुराने मामले में चार्जशीट थमा दी गई। उन पर आरोप लगता था कि साल 1976 में उन्होंने दो गार्डों के खिलाफ द्वेषतापूर्वक कार्रवाई की। साल 1999 में प्रदेश सरकार ने रामानुज शर्मा को दो साल तक पेंशन में 5 प्रतिशत की कटौती की सजा दी।
रामानुज ने इस सजा के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका लगाई। लेकिन, साल 2010 में उनका निधन हो गया। इसके बाद उनकी पत्नी ने केस लड़ा। लेकिन, उनका भी कुछ साल बाद निधन हो गया। इसके बाद दिवंगत जेल आईजी रामानुज शर्मा के बेटे राम मधुकर शर्मा, बेटी रितु शर्मा, निरा द्रोण और सीमा शर्मा ने केस लड़ा।
आखिरकार, मौत के 13 साल बाद रामानुज को मंगलवार को हाईकोर्ट से न्याय मिल गया है। हाईकोर्ट ने रामानुज के परिजनों की याचिका को स्वीकार करते हुए उन्हें दी गई चार्जशीट और सजा को निरस्त कर दिया। साथ ही प्रदेश सरकार को आदेश दिया है कि उनकी पेंशन की राशि को उनके परिजनों को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाया जाएं।
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