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नए साल के पहले दिन ही ISRO ने रचा इतिहास… XPoSat मिशन लॉन्च, अब खुलेगा ब्लैक होल का राज

चंद्रयान-3 और आदित्य-एल 1 की सफलता के बाद अब इसरो ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से आज सुबह 9.10 बजे पहला एक्स-रे पोलरिमीटर सैटेलाइट (एक्सपोसैट- XPoSat) लॉन्च किया।
11:06 AM Jan 01, 2024 IST | Anil Prajapat

बेंगलुरु। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने नए साल के पहले दिन इतिहास रच दिया है। चंद्रयान-3 और आदित्य-एल 1 की सफलता के बाद अब इसरो ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से आज सुबह 9.10 बजे पहला एक्स-रे पोलरिमीटर सैटेलाइट (एक्सपोसैट- XPoSat) लॉन्च किया। PSLV-C58/XPoSat को ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान रॉकेट से लॉन्च किया गया। ब्लैक होल्स की स्टडी के मामले में यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत दुनिया का दूसरा देश बन गया है।

XPoSat में ब्लैक होल और न्यूट्रॉन स्टार्स की स्टडी के लिए दो पेलोड पोलिक्स और एक्सपेक्ट लगे हैं। 21 मिनट बाद इन्हें पृथ्वी की 650 Km ऊपर की कक्षा में स्थापित किया गया। बता दें कि इससे अंतरिक्ष और ब्लैक होल के रहस्य का पता लगाया जा सकेगा। इस मिशन का जीवनकाल करीब पांच साल का होगा।

इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि सभी को नववर्ष की शुभकामनाएं। 1 जनवरी 2024 को PSLV का एक और मिशन सफल हो गया है। मिशन डायरेक्टर डॉक्टर जयकुमार एम ने कहा कि XPoSat एक स्पेस ऑब्जर्वेटरी है। सोलर रेडिएंस और यूपी इंडेक्स की तुलना के लिए यह पूरी तरह से महिलाओं की तरफ से तैयार सैटेलाइट है। यह विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में महिलाओं के सशक्तिकरण को दिखाता है।

रहस्यमयी दुनिया से उठेगा पर्दा

एक्स-रे पोलरिमीटर सैटेलाइट (एक्सपोसैट) एक्स-रे स्रोत के रहस्यों का पता लगाने और ‘ब्लैक होल’ की रहस्यमयी दनिु या का अध्ययन करने में मदद करेगा। इसरो के अनुसार, यह खगोलीय स्रोतों से एक्स-रे उत्सर्जन का अंतरिक्ष आधारित ध्रुवीकरण माप में अध्ययन करने के लिए अंतरिक्ष एजेंसी का पहला समर्पित वैज्ञानिक उपग्रह है।

नासा ने भी की किया था अध्ययन

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के अलावा अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने दिसंबर, 2021 में सुपरनोवा विस्फोट के अवशेषों, ब्लैक होल से निकलने वाली कणों की धाराओं और अन्य खगोलीय घटनाओं का ऐसा ही अध्ययन किया था। इसरो ने कहा कि एक्स-रे ध्रुवीकरण का अंतरिक्ष आधारित अध्ययन अंतरराष्ट्रीय रूप से महत्वपूर्ण हो रहा है और इस संदर्भ में एक्सपोसैक्ट मिशन एक अहम भूमिका निभाएगा।

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