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ISRO को मिली बड़ी सफलता, री-यूजेबल लॉन्च व्हीकल का किया सफल परीक्षण 

07:53 AM Apr 03, 2023 IST | Supriya Sarkaar
isro को मिली बड़ी सफलता  री यूजेबल लॉन्च व्हीकल का किया सफल परीक्षण 

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान स्वायत्त लैंडिंग मिशन (आरएलवी एलएएक्स) के तहत रविवार को सफलतापूर्वक परीक्षण किया। राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि यह परीक्षण कर्नाटक के चित्रदुर्गमें वैमानिकी परीक्षण रेंज (एटीआर) में किया गया। इसरो के एक बयान (ISRO) में कहा गया है, “इसी के साथ इसरो ने प्रक्षेपण यान की स्वायत्त लैंडिंग के क्षेत्र में सफलता हासिल कर ली। एलईएक्स के साथ ही पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण के क्षेत्र में भारत अपने लक्ष्य के एक और कदम करीब पहुंच गया।”

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दुनिया में पहली बार, एक ‘विंग बॉडी’ को एक हेलिकॉप्टर की मदद से 4.5 किलोमीटर की ऊंचाई पर ले जाया गया और रनवे पर स्वायत्त लैंडिंग के लिए छोड़ा गया। भारतीय वायुसेना के चिनुक हेलिकॉप्टर के जरिए आरएलवी ने भारतीय समयानुसार सुबह सात बजकर 10 मिनट पर (औसत समुद्र तल से) 4.5 किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ान भरी।

तय मापदंडों तक पहुंचने के बाद मिशन प्रबंधन कंप्यूटर की कमान के आधार पर आरएलवी को बीच हवा में 4.6 किलोमीटर की क्षैतिज दूरी से छोड़ा गया। स्थिति, वेग, ऊंचाई आदि समेत 10 मापदंडों पर नजर रखी गई और इनके पूरा होने पर आरएलवी को छोड़ा गया। आरएलवी को छोड़े जाने की प्रक्रिया स्वायत्त थी।

आरएलवी ने की स्वायत्त लैंडिंग 

आरएलवी ने एकीकृत नेविगेशन, मार्गदर्शन और नियंत्रण प्रणाली का उपयोग करते हुए नीचे उतरना शुरू किया और उसने भारतीय समयानुसार पूर्वाह्न सात बजकर 40 मिनट पर स्वायत्त तरीके से लैंडिंग की। स्वायत्त लैंडिंग की प्रक्रिया अंतरिक्ष पुन: प्रवेश यान की लैंडिंग संबंधी सटीक शर्तों के तहत की गई।

ऐसे बनते हैं प्रक्षेपण यान किफायती 

इसरो के बयान में कहा गया है, “आरएलवी एलईएक्स के लिए विकसित समकालीन प्रौद्योगिकियों के अनुकूल ढलना इसरो के अन्य प्रक्षेपण यानों को भी अधिक किफायती बनाता है।” इसरो ने इससे पहले मई 2016 में एचईएक्स (हाइपरसोनिक उड़ान प्रयोग) मिशन के तहत आरएलवी-टीडी यान की पुन: प्रवेश की क्षमता का सफल परीक्षण किया था, जो पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान विकसित करने की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

आरएलवी ने की स्वायत्त लैंडिंग आरएलवी ने एकीकृत नेविगेशन, मार्गदर्शन और नियंत्रण प्रणाली का उपयोग करते हुए नीचे उतरना शुरू किया और उसने भारतीय समयानुसार पूर्वाह्न सात बजकर 40 मिनट पर स्वायत्त तरीके से लैंडिंग की। स्वायत्त लैंडिंग की प्रक्रिया अंतरिक्ष पुन: प्रवेश यान की लैंडिंग संबंधी सटीक शर्तों के तहत की गई।

इनका रहा योगदान 

इसरो के अलावा भारतीय वायुसेना, सेना उड़न योग्यता और प्रमाणीकरण केंद्र, वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान और हवाई डिलिवरी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान ने इस परीक्षण में अहम योगदान दिया। अंतरिक्ष विभाग के सचिव और इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ उन लोगों में शामिल थे, जो इस परीक्षण के गवाह बने।

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