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सूरज पर 24 घंटे रहेगी नजर, ISRO ने आदित्य-एल 1 की तैयारी की पूरी, इस दिन होगा लॉन्च

चंद्रयान-3 की कामयाबी के बाद भारत की अगली तैयारी सूरज की है। इसरो सूर्य का अध्ययन करने के लिए शनिवार को एक अंतरिक्ष यान भेज रहा है। इस अध्ययन के लिए आदित्य-एल 1 को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। आदित्य-एल 1 पूर्णतः स्वदेशी प्रयास है।
05:51 PM Aug 30, 2023 IST | Kunal bhatnagar
सूरज पर 24 घंटे रहेगी नजर  isro ने आदित्य एल 1 की तैयारी की पूरी  इस दिन होगा लॉन्च

जयपुर। चंद्रयान-3 की कामयाबी के बाद भारत की अगली तैयारी सूरज की है। इसरो सूर्य का अध्ययन करने के लिए शनिवार को एक अंतरिक्ष यान भेज रहा है। इस अध्ययन के लिए आदित्य-एल 1 को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। आदित्य-एल 1 पूर्णतः स्वदेशी प्रयास है। इसे दो हफ्ते पहले आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित इसरो के अंतरिक्ष केंद्र में लाया गया था।

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2 सितंबर को होगा लॉन्च

आदित्य-एल 1 को शनिवार यानी 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा स्थित इसरो के अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जाएगा। एल 1 तक पहुंचने में चार महीने का समय लगेगा। इसरो इस साल गगनयान 1 मिशन लॉन्च करने की तैयारी है। इसके बाद 2024 में शुक्रयान और मंगलयान मिशन भेजने की भी योजना है।

मिशन क्या है?

आदित्य एल-1 सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली भारतीय अंतरिक्ष-आधारित ऑब्जर्वेटरी होने वाली है। इसका मुख्य काम 24 घंटे सूरज पर नजर रखना होगा। पृथ्वी और सूर्य के तंत्र के बीच पाँच लैग्रेंजियन बिंदु हैं। सूर्ययान को लैग्रेन्जियन बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा। पृथ्वी से L1 बिंदु की दूरी 1.5 मिलियन किमी है जबकि पृथ्वी से सूर्य की दूरी 150 मिलियन किमी है। L1 बिंदु को इसलिए चुना गया है क्योंकि यहां से सूर्य पर हर समय नजर रखी जा सकती है।

सूर्य का अध्ययन करने से क्या हासिल होगा?

अंतरिक्ष यान सात पेलोड को ले जाएगा। ये पेलोड फोटोस्फीयर (फोटोस्फीयर), क्रोमोस्फीयर (सूर्य की दृश्य सतह के ठीक ऊपर की सतह) और सूर्य की सबसे बाहरी परत (कोरोना) का जायजा लेंगे। सूर्य में होने वाली विस्फोटक प्रक्रियाएँ पृथ्वी के निकट अंतरिक्ष क्षेत्र में समस्याएँ पैदा कर सकती हैं। कई उपग्रहों को नुकसान हो सकता है।

यदि ऐसी प्रक्रियाओं का पहले ही पता चल जाए तो निवारक कदम उठाए जा सकते हैं। सभी अंतरिक्ष अभियानों को चलाने के लिए अंतरिक्ष के मौसम को समझना जरूरी है। इस मिशन से अंतरिक्ष के मौसम को समझने में भी मदद मिल सकती है। इसके जरिए सौर हवाओं का भी अध्ययन किया जाएगा।

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