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भारत का राष्ट्रीय वाद्ययंत्र है वीणा, स्वंय भगवान शिव ने किया था इसका सृजन 

12:03 PM Feb 06, 2023 IST | Supriya Sarkaar

हमनें सभी देवी देवताओं के हाथ में विशेष प्रकार के उपकरण देखें हैं। जैसे- माता लक्ष्मी के हाथ में कमल का फुल, शिवजी के हाथ में डमरू, मां दूर्गा के हाथ में तलवार और भगवान विष्णु के हाथ में सुदर्शन चक्र। उसी प्रकार विद्या की देवी मां सरस्वती के हाथ में सुसज्जित आपने वीणा देखी होगी। यह एक प्रकार का वाद्ययंत्र है, जिससे कई वाद्ययंत्रों की उत्पत्ति हुई है।

हिंदु धर्म में मां सरस्वती को ज्ञान व संगीत की देवी माना जाता है। जिन्हें हमेशा वीणा धारण किए दिखाया जाता है। देवी सरस्वती की प्रसिद्ध वन्दना में भी उन्हें वीणावरदंडमंडितकरा से संबोधित किया गया है। इसे अंग्रेजी में हार्प या ल्यूट कहा जाता है। इसके इतिहास की बात करें तो सबसे पुराना प्रमाण 2500 ईसा पूर्व में प्राचीन मिश्र में मिला था। 

सबसे पुराना वाद्ययंत्र

वीणा सुर ध्वनियों के लिए भारतीय संगीत में उपयोग में आने वाला सबसे पुराना वाद्ययंत्र है। एक-तन्त्री वीणा इसका सबसे प्राचीनतम रूप है। इसे एक तन्त्री इसलिए कहा गया क्योंकि इसमें एक तार लगा होता है। जिस वाद्ययंत्र में एक तार प्रयुक्त होता है, उसे एक तन्त्री वाद्ययंत्र कहा जाता है। हालांकि वर्तमान में संगीत में काम में ली जाने वाली वीणा में चार तार प्रयुक्त होते हैं। इसी से सितार, गिटार तथा बैंजो की उत्पत्ति हुई मानी जाती है।

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इतिहासकारों की मानें तो मध्यकाल में अमीर खुसरो दहलवी ने सितार की रचना वीणा की सहायता से ही की थी। गुप्तवंश के राजा समुद्रगुप्त श्रेष्ठ वीणा वादक थे, इसलिए उन्हें कविराज की उपाधी दी गई। इसके अलावा असद अली खान, एस. बालचंद्रन, कृष्ण भागवतार, बदरुद्दीन डागर को भी प्रसिद्द भारतीय वीणा वादक के तौर पर जाना जाता है।

शास्त्रीय संगीत में आती है काम

वीणा शास्त्रीय संगीत में काम में आने वाला वाद्ययंत्र है। यह भारत के लोकप्रिय वाद्ययंत्रों में से एक है। जिसका प्रयोग प्राय: शास्त्रीय संगीत में किया जाता है। इसकी उत्पत्ति की बात करें तो इसके लिए एक पौराणिक कथा प्रचलन में है। इस कथा के अनुसार वीणा का सृजन स्वयं भगवान शिव ने किया था। उन्होंने इसे माता पार्वती के देवी रूप को समर्पित किया था। इसका उल्लेख वैदिक साहित्य में भी मिलता है। दक्षिण भारत में आज भी वीणा का प्रचलन है, जबकि उत्तर भारत में इसके स्थान पर सितार काम में लिया जाता है। यह दक्षिण भारत का लोकप्रिय वाद्ययंत्र है।

वीणा के प्रकार 

वीणा भारत का राष्ट्रीय वाद्य यंत्र है। यह दो प्रकार की होती है- रुद्रवीणा तथा विचित्र वीणा। इसके अलावा तंजौरी वीणा और गोट्टूवाद्यम भी वीणा श्रेणी में रखे जाते हैं। मध्यकाल में शास्त्रीय संगीत के रूप में इसका उपयोग किया जाता था।

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