Indian Army Day: दुनिया में हमारे जांबाजों की धाक, दुश्मन को देते हैं मुंहतोड़ जवाब
सरहद हो या शिखर…जब बात देश की सुरक्षा की आती है तो सेना के वीर जवान हमेशा डटे हुए नजर आते हैं। दुश्मन को करारा जवाब देते हैं, घुसपैठियों को पकड़ते हैं, आमजन की हिफाजत का जिम्मा उठाते हैं। भारतीय सेना के शौर्य के सम्मान में हर साल 15 जनवरी को भारतीय सेना दिवस मनाया जाता है। यह वही दिन था जब साल 1949 में आखिरी ब्रिटिश कमांडर इन चीफ जनरल फ्रांसिस बुचर की जगह सेना की कमान भारतीय लेफ्टिनेंट जनरल के एम करियप्पा ने ली थी। वह आजाद भारत के पहले भारतीय सैन्य अधिकारी थे और भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में उन्होंने ही भारतीय सेना का नेतृत्व किया था। सेना की कमान भारतीय सैन्य अधिकारी को मिलने की याद में हर साल भारतीय सेना दिवस मनाया जाता है।
लेफ्टिनेंट जनरल के एम करियप्पा के हाथों में आई कमान
दरअसल देश की आजादी से पहले सेना पर ब्रिटिश कमांडर का नेतृत्व होता था। साल 1947 में देश के आजाद होने के बाद भी भारतीय सेना का अध्यक्ष ब्रिटिश मूल का ही था। साल 1949 में आजाद भारत के आखिरी ब्रिटिश कमांडर इन चीफ जनरल फ्रांसिस बुचर थे। जिनकी जगह भारतीय लेफ्टिनेंट जनरल के एम करियप्पा ने ली। वह आजाद भारत के पहले भारतीय सैन्य अधिकारी थे। इसके बाद करियप्पा फील्ड मार्शल भी बने। जब करियप्पा सेना प्रमुख बने तो उस समय भारतीय सेना में लगभग 2 लाख सैनिक थे। करियप्पा साल 1953 में रिटायर हो गए थे और 94 साल की उम्र में साल 1993 में उनका निधन हुआ था।
भारत पाक युद्ध का किया था नेतृत्व
लेफ्टिनेंट जनरल करियप्पा ने भारत पाकिस्तान युद्ध 1947 का नेतृत्व किया था। रिटायरमेंट के बाद उन्हें 1986 में फील्ड मार्शल का रैंक प्रदान किया गया। इसके अलावा दूसरे विश्व युद्ध में बर्मा में जापानियों को शिकस्त देने के लिए उन्हें ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एंपायर का सम्मान भी मिला था।
1776 में कोलकाता में शुरू हुआ कारवां
अब सवाल यह कि भारतीय सेना का गठन कब हुआ था। दरअसल राजा महाराजाओं के दौर में हर शासक के अपने सैनिक होते थे। लेकिन ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय सेना का गठन साल 1776 में कोलकाता में किया। उस समय भारतीय सेना ईस्ट इंडिया कंपनी की सैन्य टुकड़ी थी, जिसे बाद में ब्रिटिश भारतीय सेना का नाम मिला और अंत में भारतीय थल सेना के तौर पर देश के जवानों को पहचान मिली। 15 जनवरी 1949 में भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद सेना को अपना पहला प्रमुख मिला था। इसी दिन भारतीय सेना को देश को आधिकारिक रूप से सौंपा गया था।
Indian Army Day: दुनिया में हमारा है अहम स्थान
दुनिया में भारतीय सेना एक अहम स्थान रखती है। वैश्विक फायरपावर सूचकांक (जीपीएफ) दुनिया के देशों की सैन्य ताकतों का एक तुलनात्मक अध्ययन करती है। यह संस्था विश्व के देशों की सैन्य और रक्षा शक्ति का विश्लेषण करती है। इसके तहत संबंधित देश की हवा, समुद्र और स्थल में संभावित मारक क्षमता का ब्यौरा तैयार किया जाता है। इस सूचकांक में देशों की रैंकिंग को 50 मानकों के आधार पर निर्धारित किया जाता है। जिसमें सैन्य संसाधन, रक्षा बजट, अत्याधुनिक हथियारों की संख्या, प्राकृतिक संसाधन समेत अन्य बिंदुओं को शामिल किया जाता है।
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इसके मुताबिक हाल ही में जीपीएफ ने 2022 के लिए यह सूचकांक प्रकाशित किया। जिसमें अमेरिका को सैन्य रूप से दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश बताया गया। रूस इस संस्था के अनुसार दुनिया का दूसरा सबसे शक्तिशाली देश है, जबकि चीन को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ है। इसके मुताबिक भारत को चौथे स्थान पर रखा गया है। 2021 की तुलना में इस वर्ष भारत के अंकों में सुधार हुआ है। भारत के पास वर्तमान में 14.5 लाख से ज्यादा सक्रिय सैनिक हैं, जो की अमेरिका के बराबर है। इसमें सेना के तीनों अंगों के सैनिकों की संख्या शामिल है। भारत के पास लगभग 564 लड़ाकू विमान, 4614 टैंक और 1 विमानवाहक पोत -INS विक्रमादित्य, 17 पनडुब्बी और इसका रक्षा बजट लगभग 70 अरब डॉलर का है।