श्रीलंका के समर्थन में एक साथ आए भारत, जापान और फ्रांस, चीन पर नकेल कसने के लिए तैयार तीनों देश
चीन के कर्ज जाल में फंसे श्रीलंका को उबारने के लिए फ्रांस, जापान और भारत ने हाथ मिलाया है। पिछले सप्ताह इस योजना के शुरू होने के बाद फ्रांस ने कर्ज देने वाले देशों से कहा है कि वे ‘पारदर्शिता’ को सुनिश्चित करें। श्रीलंका कर्ज के पहाड़ तले दब चुका है और डिफॉल्ट हो चुका है। इससे पिछले कुछ महीने में राजपक्षे परिवार को सत्ता से हटना पड़ा है। डॉलर नहीं होने की वजह से श्रीलंका को तेल, खाद्यान और दवाओं की आपूर्ति में भी बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
फ्रांस के वित्त विभाग के महानिदेशक इमैनुअल मोउलिन ने कहा कि हम अन्य कर्जदाता देशों के साथ समन्वय करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि कर्ज देने वाले देशों को एक समन्वित तरीके से कर्ज को रिस्ट्रक्चर करना शुरू करना चाहिए ताकि पारदर्शिता को सुनिश्चित किया जा सके।
पूर्व राष्ट्रपति को देश छोड़कर भागना पड़ा
श्रीलंका की मदद के लिए भारत भी आगे आया है। भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि हम मानते हैं कि कर्ज के पुर्नगठन में इस तरह का सहयोग सभी कर्जदाताओं के व्यवहार में पारदर्शिता और समानता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को देश छोड़कर भागना पड़ा था। फ्रांस, जापान और भारत चर्चा शुरू करने जा रहे हैं। श्रीलंका पर दुनिया के कई देशों का कुल 6.4 अरब यूरो कर्ज है। इसमें सबसे ज्यादा कर्ज चीन का है।
चीन भारत के खिलाफ चल रहा है चाल
जापानी मंत्री ने कहा कि अगर चीन इसमें शामिल होता है तो यह बहुत अच्छा कदम होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन के कदम में उसका निजी हित छिपा हुआ है। चीन श्रीलंका को मदद के नाम पर मदद नहीं कर रहा है। चीन कर्ज के जाल में फंसाकर श्रीलंका में रेडॉर स्टेशन स्थापित करना चाहता, जिससे भारत और अमेरिका दोनों को ही खतरा है।
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