तकनीक के क्षेत्र में भारत ने हासिल किया नया मुकाम, बेंगलुरु में खुला देश का पहला 3D प्रिंटेड डाकघर
3D printed post office : बेंगलुरु। तकनीक के क्षेत्र में भारत ने नया मुकाम हासिल किया है। बेंगलुरु में देश का पहला 3डी प्रिंटेड पोस्ट ऑफिस खुल गया है। केंद्रीय रेल मंत्री व संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को 3डी प्रिंटिंग तकनीक से निर्मित देश के पहले डाकघर का शुभारंभ किया। 1,100 वर्ग फुट के डाकघर का उद्घाटन बेंगलुरु के उल्सूर बाजार के पास कैम्ब्रिज लेआउट में आयोजित किया गया था।
इस मौके पर केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कहा कि यह भारत की एक नई तस्वीर है जिसे हमने इस 3डी-मुद्रित तकनीक के संदर्भ में देखा है। किसी ने नहीं सोचा था कि भारत अपनी 4जी और 5जी तकनीक विकसित करेगा। किसी ने कभी नहीं सोचा था कि भारत दूरसंचार प्रौद्योगिकी के विकासकर्ता और निर्माता के रूप में उभरेगा। किसी ने कभी नहीं सोचा था कि देश विश्व स्तरीय ट्रेन का डिजाइन और निर्माण कर पाएगा। लेकिन, हमने यह कर दिखाया है। पीएम मोदी की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि यह इसलिए संभव हो पाया है क्योंकि देश को एक ऐसा नेता मिला है, जिसे अपने देशवासियों की क्षमताओं पर भरोसा है।
साथ ही मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भारत के पहले 3D प्रिंटेड पोस्ट ऑफिस के बनने का वीडियो शेयर करते हुए बताया कि इसे कैसे बनाया गया है। उन्होंने ट्वीट किया कि 'आत्मनिर्भर भारत की भावना… यह 3D प्रिंटेड पोस्ट ऑफिस कर्नाटक के बेंगलुरु के कैम्ब्रिज लेआउट एरिया में बना है।
पीएम मोदी का ट्वीट-3डी प्रिंटेड पोस्ट ऑफिस देख हर भारतीय को गर्व
वहीं, पीएम मोदी ने ट्वीट किया कि कैंब्रिज लेआउट, बेंगलुरु में भारत का पहला 3डी प्रिंटेड पोस्ट ऑफिस देखकर हर भारतीय को गर्व होगा। यह हमारे देश के नवाचार और प्रगति का एक प्रमाण है, यह आत्मनिर्भर भारत की भावना का भी प्रतीक है। उन लोगों को बधाई जिन्होंने डाकघर को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की है।
45 दिन में बनकर तैयार हुआ यह पोस्ट ऑफिस
बता दें कि लार्सन एंड टूब्रो कंपनी ने बेंगलुरु के उल्सूर बाजार में देश का पहला 3डी प्रिंटेड पोस्ट ऑफिस बनाया है। यह पोस्ट ऑफिस 45 दिन में बनकर तैयार हुआ है और इसे बनाने में 23 लाख रुपए खर्च हुए है। 3D प्रिंटिंग का उपयोग छोटे शहरों में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने की दिशा में महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इस तकनीक के जरिए छोटे,लघु और मध्यम उद्योगों को बढ़ावा दिया जा सकता है. इस तकनीक के जरिए समय की भी बचत भी होगी और उत्पादन क्षमता में भी वृद्धि होगी. इसके अलावा निर्माण के दौरान पर्यावरण पर पड़ने वाले विपरीत प्रभावों में भी कमी आएगी।
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