अंटार्कटिका में मिला विशाल उल्कापिंड, खुलेंगे सौरमंडल के रहस्य
अंटार्कटिक में एक विशाल उल्कापिंड मिला है। माना जा रहा है कि इसमें हमारे सौर मंडल की सबसे पुरानी सामग्री है। ये अब तक मिले सबसे बड़े उल्कापिंडों में से एक है। सूर्य और ग्रहों के विकास पर यह प्रकाश डालता है। इस उल्कापिंड का वजन 7.6 किग्रा है। अंटार्कटिक में इसे खोजना बहुत आसान था। इस उल्कापिंड का रंग काला है, जिसके कारण यह सफेद बर्फपर बहुत ही आसानी से दिखाई दिया। द फील्ड म्यूजियम शिकागो की डॉ. मारिया वैलेड्स ने कहा, ‘जब बात उल्कापिंड की आती है तो आकार महत्व नहीं रखता। यहां छोटे सूक्ष्म उल्कापिंड भी वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बहुत कीमती हो सकते हैं। लेकिन इस आकार का उल्कापिंड बहुत दुर्लभ है।’
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मिले कुल 45,000 उल्कापिंड
पिछली शताब्दी में यहां 45,000 से ज्यादा उल्कापिंड मिले थे। हालांकि आकार की दृष्टि से सिर्फ 100 ही बड़े थे। ज्यादातर सूक्ष्म उल्कापिंड हैं, जिनका आकार कुछ सौ ग्राम ही होता है। सैटेलाइट इमेज का इस्तेमाल कर अभियान के सदस्य इसे खोजने में कामयाब रहे। एलिजाबेथ अंटार्कटिका रिसर्च स्टेशन के पास पांच नमूने मिले हैं। स्विस फेडरल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ज्रयूिख की प्रोफे सर मारिया स्कोनबैकल का कहना है कि इस आकार का उल्कापिंड मिलना किसी सौभाग्य से कम नहीं है।
सौर मंडल का इतिहास छिपा है
एक्स्पर्ट्स का कहना है कि अंतरिक्ष चट्टानें देखने में एकदम सामान्य लगती हैं, लेकिन इनके अंदर हमारे सोलर सिस्टम का इतिहास छिपा है। संभव है कि यह मंगल और बृहस्पति के बीच मौजूद एस्टेरॉयड बेल्ट से आए हों। उल्कापिंड की रासायनिक संरचना को नुकसान न हो इसलिए उसे एक ठंडे बॉक्स में रख कर सील कर दिया गया है। आगे की जांच के लिए इसे बेल्जियम की एक लैब में भेजा जाएगा। अब यह देखना है कि उल्कापिंड हमें ब्रह्मांड के बारे में क्या जानकारी दे सकता है?
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