माननीयों को पसंद है सुरक्षा का घेरा! 194 विधायकों की हिफाजत में पुलिस
(पंकज सोनी) : जयपुर। जनप्रिय और जननेता कहलाना पसंद करने वाले माननीयों को जनता से बचने के लिए सुरक्षा घेरा पसंद है। प्रदेश के 199 विधायकों में से 194 को पुलिस सुरक्षा ली हुई है। यही नहीं, इनमें से 32 विधायकों को तो सरकार की तरफ से विशेष श्रेणी की सुरक्षा दी जा रही है। इनके अलावा मंत्रियों और बोर्ड अध्यक्षों को अलग से विशेष सुरक्षा दी जा रही है। पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और खेल परिषद अध्यक्ष कृष्णा पूनियां को जेड श्रेणी की सुरक्षा दी जा रही है। पायलट को केन्द्र सरकार की तरफ से जेड श्रेणी में मान सुरक्षा दी जा रही है।
वहीं, निर्दलीय विधायक ओमप्रकाश हुडला को सरकार ने वाई प्लस श्रेणी सुरक्षा दी हुई है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा और जोगेन्द्र सिंह अवाना को वाई श्रेणी की सुरक्षा सरकार की तरफ से दी जा रही है। इसके अलावा 28 विधायक ऐसे हैं, जिनको तयशुदा नियमों के अलावा एक से ज्यादा पीएसओ दिए हुए हैं। इनके अलावा मुख्यमंत्री, विधानसभाध्यक्ष और निवर्तमान मुख्यमंत्री को भी सरकार की तरफ से विशेष श्रेणी की सुरक्षा दी जाती है।
निर्दलीय विधायक खुशवीर सिंह जोजावर ने कहा कि मुझे नहीं लगा कि मुझे सुरक्षा की कोई जरूरत है। वैसे भी सुरक्षा से कोई बचा नहीं है। यूपी में अतीक अहमद का मर्डर हुआ है, उसकी सुरक्षा में दो सौ पुलिसकर्मी तैनात थे। पाली से भाजपा विधायक ज्ञानचंद पारख ने कहा कि मैं जनसेवक हूं। मेरी सुरक्षा में जनता की कमाई के साठ हजार रुपए वेतन वाला आदमी तैनात रहे तो फिर मैं जनसेवक कैसे रहा? इसलिए मैंने आज तक सुरक्षा नहीं ली है।
इनको एक से अधिक पीएसओ
अभिनेश महर्षि, संदीप यादव, बलजीत यादव, बलवान पूनियां, सतीश पूनियां, मंजीत धर्मपाल चौधरी, प्रशान्त बैरवा, गिर्राज सिंह मलिगं ा, रोहित बोहरा, भरोसीलाल जाटव, गोपीचंद मीना, राजेंद्र राठौड़, जितेन्द्र सिंह, राजकु मार शर्मा, बाबूलाल नागर, बिहारी लाल, इंद्रा मीणा, संयम लोढ़ा, राजेंद्र विधूड़ी, दानिश अबरार, रामके श मीना, शोभारानी कु शवाह, लाखन मीना, मदन दिलावर, खिलाड़ी लाल बैरवा, नारायण बेनीवाल और पृथ्वीराज मीणा को एक से अधिक पीएसओ मिले हुए हैं।
छह विधायकों ने ठुकराई सुविधा
सुरक्षा की मांग करने वाले विधायकों की भीड़ से अलग छह विधायक ऐसे भी हैं, जिन्होंने सुरक्षा के लिए इनकार किया हुआ है। ये हैं सिद्धि कुमारी, राजेंद्र पारीक, संजय शर्मा, ज्ञानचंद पारख, खुशबीर सिंह जोजावर और भरतसिंह। इनका कहना है कि हमे नहीं लगता कि हमें सुरक्षा की जरूरत है।
जासूसी कराने के लगते हैं आरोप
विधायकों को सुरक्षा देने के नाम पर राज्य सरकारों पर जासूसी के आरोप भी लगते रहे हैं। पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार में घनश्याम तिवाड़ी ने अपनी सुरक्षा यह कह कर वापस कर दी थी कि पुलिस के जरिए सरकार उनकी जासूसी करवा रही है।
साल 2020 में जारी हुए विशेष निर्देश
साल 2020 में सचिन पायलट के नेतृत्व में हुई बगावत के बाद विधायकों की सुरक्षा को लेकर विशेष निर्देश जारी किए गए थे। इसके लिए राज्य स्तरीय सुरक्षा रिव्यू कमेटी ने 2021 प्रदेश के सभी विधायकों को पदीय आधार पर एक पीएसओ की सुरक्षा प्रदान करने की सिफारिश की थी। इसी के तहत विधायकों को सुरक्षा दी जा रही है। सरकार का कहना है कि इस व्यवस्था पर कोई अतिरिक्त खर्च नहीं होता है। के वल वेतन और भत्ते ही दिए जाते हैं।
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