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Sanjivani Credit Scam : केंद्रीय मंत्री की याचिका पर कोई भी सुनवाई को तैयार नहीं, फिर टली सुनवाई, आखिर ऐसा क्या है याचिका में?

मंगलवार को होने वाली सुनवाई टलने के बाद अब किसी अन्य बेंच में मामले की सुनवाई होगी।
01:04 PM Apr 04, 2023 IST | Anil Prajapat

Sanjivani Credit Scam : जोधपुर। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की विविध आपराधिक याचिका पर आज हाईकोर्ट में सुनवाई होनी थी। लेकिन, हाईकोर्ट जस्टिस प्रवीर भटनागर ने मामले को सुनने से इनकार कर दिया। जिसके चलते शेखावत की विविध आपराधिक याचिका पर आज भी सुनवाई नहीं हो पाई। पूर्व में जस्टिस मनोज कुमार गर्ग ने भी शेखावत की याचिका पर सुनवाई से अपने आप को अलग कर लिया था। मंगलवार को होने वाली सुनवाई टलने के बाद अब किसी अन्य बेंच में मामले की सुनवाई होगी।

बहुचर्चित संजीवनी क्रेडिट कॉपरेटिव सोसायटी से जुड़े कथित 900 करोड़ के घोटाले में आरोप लगने के बाद केंद्रीय मंत्री शेखावत ने यह याचिका पेश की थी। जिस पर आज हाईकोर्ट जस्टिस प्रवीर भटनागर की कोर्ट में सुनवाई होनी थी। केंद्रीय जल शक्तिमंत्री को राजस्थान हाईकोर्ट से राहत की उम्मीद थी। लेकिन, जस्टिस प्रवीर भटनागर द्वारा मामले पर सुनवाई करने से इनकार के बाद सुनवाई टल गई है। इससे पहले भी जस्टिस मनोज कुमार गर्ग अपने आप को शेखावत की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए खुद को अलग कर लिया था। माना जा रहा है कि अब किसी अन्य बेंच में मामले की सुनवाई होगी। हालांकि, अभी तक यह साफ नहीं है कि शेखावत की याचिका पर अब कब सुनवाई होगी।

आखिर क्या है इस याचिका में?

संजीवनी क्रेडिट कॉपरेटिव सोसायटी घोटाले से जुड़े मामले में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने एसओजी में दायर एफआईआर के खिलाफ याचिका पेश की थी। लेकिन, एक बार फिर 482 की याचिका पर सुनवाई टल गई है। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि आखिर इस याचिका में ऐसा क्या है कि जस्टिस मनोज कुमार गर्ग के बाद अब जस्टिस प्रवीर भटनागर ने भी याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। बता दें कि केंद्रीय मंत्री शेखावत ने एसओजी में दर्ज एफआईआर को चुनौती देने के साथ एफआईआर निरस्त करने और मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग को लेकर जोधपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

क्या है संजीवनी घोटाला?

संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी को राजस्थान सोसाइटी एक्ट के तहत 2008 में रजिस्टर्ड कराया गया था। इसके बाद 2010 में ये सोसाइटी मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटी के रूप में बदल गई। सोसाइटी को इसका लाइसेंस केंद्र से मिला। इसमें निवेश करने वाले लोगों को अच्छे कई लालच दिए गए। लालच में आकर 1 लाख से अधिक लोगों ने 900 करोड़ रुपए का निवेश किया। फिर सोसाइटी ने निवेशकों के पैसों को गलत तरीके से लोन पर दे दिया। इतना ही नहीं अन्य राज्यों में ब्रांच खोल कर फर्जी कंपनियों को लोन बांटे गए।

900 करोड़ रुपए के घोटाले में आरोप लगने के बाद केंद्रीय मंत्री शेखावत ने एसओजी में दर्ज एफआईआर को चुनौती देने के साथ-साथ एफआईआर निरस्त करने और मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में मांग की गई कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी राजस्थान और गुजरात में हैं। दोनों ही राज्यों में घोटाले के मुकदमें दर्ज है। गुजरात के मामले पहले ही सीबीआई को भेज दिए गए हैं। ऐसे में अब राजस्थान के मामले भी सीबीआई को सौंपे जाएं।

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