राजस्थान हाईकोर्ट में Right To Health बिल पर सुनवाई, डोटासरा ने निजी डॉक्टर्स से की मुलाकात
जयपुर। राइट टू हेल्थ बिल (Right To Health) पर प्रदेश भर में छाए गतिरोध को लेकर आज राजस्थान हाईकोर्ट में इसकी सुनवाई होगी। हाईकोर्ट में इस बिल को लेकर जो डॉक्टर और प्रोफेसर हड़ताल कर रहे हैं उसके खिलाफ एडवोकेट प्रमोद सिंह ने जनहित में जनहित याचिका दायर की है।
इन्हें बनाया गया पक्षकार
उन्होंने इस याचिका में आंदोलन कर रहे एक दर्जन से ज्यादा डॉक्टर्स, राजस्थान मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यानी IMA के अध्यक्ष, नेशनल मेडिकल कमीशन के चेयरमैन, चिकित्सा शिक्षा सचिव, चिकित्सा सचिव, मुख्य सचिव उषा शर्मा को पक्षकार बनाया है।
एडवोकेट बलराम जाखड़ की तरफ से प्रेमचंद देवनंदन ने भी याचिका दायर की है। इस मामले की सुनवाई आज कार्यकारी चीफ जस्टिस एमएन श्रीवास्तव, जस्टिस अनिल उपमन की बेंच करेगी। मामला हाईकोर्ट में पहुंचने के बाद अब सबकी नजरें हाईकोर्ट की सुनवाई और फैसले पर टिकी हुई है।
Right To Health को लेकर डोटासरा ने की डॉक्टर्स से बातचीत
इधर राइट हेल्थ बिल को लेकर गोविंद सिंह डोटासरा और हड़ताल कर रहे डॉक्टर्स के बीच में बातचीत हुई डोटासरा ने अपने आवास पर इंडस का प्रतिनिधित्व दल बुलाया जानकारी मिल रही है कि इस मामले को लेकर एक कमेटी का गठन होगा जिसमें आईएएस अधिकारी और तीन मंत्री शामिल होंगे इसे लेकर आईएएस अधिकारियों और डॉक्टर्स के बीच भी बातचीत की संभावना है।
मशाल जूलूस निकाल कर लोगों को बता रहे नुकसान
राइट टू हेल्थ बिल को लेकर आज मशाल जुलूस भी निकाला जा रहा है। जो जयपुर से सीकर होते हुए दूसरे जिलों में जा रही है। जुलूस में शामिल डॉक्टर जिलों, गांवों, ढाणियों में लोगों को इस बिल के नुकसान के बारे में बताएंगे। हालांकि सरकार और डॉक्टर्स के बीच में हुई बातचीत के बाद कल से कुछ डॉक्टर्स अपने काम पर वापस लौटने लगे थे लेकिन अभी भी कई अस्पतालों के चिकित्सक सड़क पर हैं और अस्पतालों में मरीज इलाज के लिए तड़प रहे हैं।
मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान
इधर राइट हेल्थ बिल को लेकर मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लिया है। बीते 29 मार्च को राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस जी के व्यास ने राइट टू हेल्थ बिल का विरोध कर रहे निजी डॉक्टर के मामले पर केस दर्ज किया है। उन्होंने प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग, राजस्थान मेडिकल काउंसिल से रिपोर्ट मांगी है कि कि जो चिकित्सक इस तरह हड़ताल कर रहे हैं उनके खिलाफ क्या कार्रवाई हो रही है? क्योंकि चिकित्सकों के आचरण पर नियमों के तहत राजस्थान मेडिकल एक्ट 1952 और राजस्थान मेडिकल रूल्स 1957 में नियम दर्ज हैं।
आयोग से अध्यक्ष ने डॉक्टर्स से हड़ताल खत्म करने की अपील की
इस संबंध में आयोग ने मेडिकल काउंसिल से पूरी रिपोर्ट मांगी है। 10 अप्रैल को इस मामले की सुनवाई होगी उससे पहले यह रिपोर्ट देनी है। हड़ताल कर रहे डॉक्टरों से जस्टिस जेके व्यास ने अपील की है कि वे जनसेवा को ध्यान में रखकर मानव जीवन की रक्षा करें और अपने काम पर लौट आए। राज्य सरकार जो बिल लेकर आई है वह जनहित में है। यह उसका कर्तव्य है। अगर आप इससे असहमत हैं आप इसे कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं लेकिन इस तरह आप हड़ताल नहीं कर सकते।