आबादी में 40% की गिरावट विलुप्त होने की कगार पर पहुंचे जिराफ
यूनिवर्सिटी पार्क जिराफ दुनिया के सबसे ऊंचे स्तनधारी प्राणी और अफ्रीका के प्रतीक हैं, लेकिन वे भी विलुप्त होने के खतरे का सामना कर रहे हैं। पिछले 30 वर्षों में जिराफ की आबादी में 40 प्रतिशत की गिरावट आई है और अब जंगल में 70,000 से भी कम जिराफ बचे हैं। उनकी संख्या में इस चिंताजनक गिरावट के कारण क्या हैं और इस विशाल जानवर की सुरक्षा के लिए
क्या किया जा सकता है? जिराफों के लिए पांच सबसे बड़े खतरों में पर्यावास का सिकुड़ना, अपर्याप्त कानून प्रवर्तन, पारिस्थितिकी परिवर्तन, जलवायु परिवर्तन और जागरूकता की कमी शामिल हैं।
एक्सपर्ट्स इन खतरों और उन्हें बचाने के लिए क्या किया जा रहा है, इस बारे में बताते हैं। पेंसलवेनिया यूनिवर्सिटी के डेरेक ई. ली ने कहा कि मैं उस अध्ययन के बारे में भी बताऊंगा जिसका मैं हिस्सा था और जिसमें जिराफ के विलुप्त होने के खतरे के संदर्भ में जोखिम की रैंकिंग की गई थी। साथ ही यह भी कि क्या मानवीय कार्य उस खतरे को कम कर सकते हैं।
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अवैध शिकार का बड़ा खतरा
जिराफों केलिए एक और बड़ा खतरा उनका अवैध शिकार है। यह आमतौर पर अंतरराष्ट्रीय आपराधिक गिरोह की ओर सेनियंत्रित होता है। इस खतरेसेनिपटने के मद्देनजर वन्यजीव की सुरक्षा केलिए मजबूत कानून प्रवर्तन सबसे अच्छा विकल्प है।
पर्यावास का क्षरण और हानि
जिराफों को खाने केलिए प्रचुर मात्रा में झाड़ियों और पेड़ों के साथ सवाना के बड़े क्षेत्रों की आवश्यकता होती है। खेती और मानव बस्ती विस्तार जैसी मानवीय गतिविधियों के कारण जिराफों के पर्यावास में कमी आ रही है, जो इस जानवर केलिए सबसे बड़ा खतरा बनकर उभर रहा है। जिराफ की संख्या में हालिया गिरावट का मुख्य कारण संरक्षित क्षेत्रों के बाहर पर्यावास को क्षति पहुंचना है। उत्तरी तंजानिया में मसाई जैसे पारंपरिक चरवाहे प्राकृतिक सवाना के बड़े स्थानों को बरकरार रखते हैं, जहां वन्यजीव केसाथ ही मानव आवास भी होता है।
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