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Kakanmath Temple: भूतों ने एक रात में बनाया मंदिर! एक हजार साल पहले हुआ था इसका निर्माण

11:18 AM Jan 29, 2023 IST | Supriya Sarkaar

भगवान शिव का 1000 वर्ष पुराना मंदिर, जिसे मुस्लिम शासकों ने तोड़ने के लिए गोले तक दागे, लेकिन ग्वालियर चंबल अंचल के बीहड़ों में लटकते हुए पत्थरों से बना सिहोनिया का ककनमठ मंदिर आज भी मौजूद है। चंबल के बीहड़ में बना ये मंदिर 10 किलोमीटर दूर से ही दिखाई देता है। जैसे-जैसे इस मंदिर के नजदीक जाते हैं, इसका एक-एक पत्थर लटकते हुए दिखाई देने लगता है। 

जितना नजदीक जाएंगे, दिल में उतनी ही दहशत सी होने लगती है। इसके बावजूद ये पत्थर इस कदर लगे हैं कि कोई इन्हें लेश मात्र भी नहीं हिला सकता है। आस-पास बने कई छोटे-छोटे मंदिर नष्ट हो गए हैं, लेकिन इस मंदिर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। मंदिर के बारे में कमाल की बात तो यह है कि जिन पत्थरों से यह मंदिर बना है, आस-पास के इलाके में ये पत्थर नहीं मिलते हैं। 

कहते हैं कि कहीं दूर से खाली मैदान में पत्थर लाकर भूतों ने एक रात में इस मंदिर का निर्माण कर दिया। मंदिर को देखकर यह भी लगता है कि इसका निर्माण अचानक छोड़ दिया गया हो। स्थानीय लोग बताते हैं मंदिर बनते-बनते सुबह हो गई, इसलिए मंदिर को अधूरा छोड़कर ही भूत-प्रेत चले गए।

एक कहानी ये भी

ककनमठ मंदिर को लेकर एक कहानी यह भी बताई जाती है कि इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में कच्छवाहा वंश के राजा कीर्ति सिंह के शासनकाल में हुआ था। राजा कीर्ति सिंह और उनकी पत्नी रानी ककनावती भगवान भोलेनाथ की अनन्य भक्त थीं। उन्होंने ही इस मंदिर का निर्माण कराया था, इसलिए इसका नाम ककनमठ मंदिर पड़ा।

नहीं किया है सीमेंट गारे का उपयोग

ककनमठ मंदिर के बारे में बताया जाता है कि बड़े-बड़े पत्थरों से बने इस मंदिर के निर्माण में किसी भी तरह के सीमेंट गारे का उपयोग नहीं किया गया है। सभी पत्थर एक के ऊपर एक कतारबद्ध रखे हुए हैं। एक बार देखकर तो मन में यह सवाल उठता है कि कहीं ये गिर न जाएं, लेकिन यह मंदिर वर्षों से अपने स्थान पर अडिग खड़ा है।

मंदिर में प्राचीन शिवलिंग विराजमान

इस मंदिर को लेकर कई तरह की किंवदंतियां हैं। पूरे अंचल में एक किंवदंती सबसे ज्यादा मशहूर है कि मंदिर का निर्माण भूतों ने किया था। वहीं मंदिर में एक प्राचीन शिवलिंग विराजमान है, जिसके पीछे यह तर्क दिया जाता है कि भगवान शिव का एक नाम भूतनाथ भी है। भोलेनाथ न सिर्फ देवी-देवताओं और इंसानों के भगवान हैं बल्कि उनको भूत-प्रेत व दानव भी भगवान मानकर पूजते हैं। पुराणों में लिखा है कि भगवान शिव की शादी में देवी-देवताओं के अलावा भूत-प्रेत भी बाराती बनकर आए थे और इस मंदिर का निर्माण भी भूतों ने किया है।

ऊपरी सिरा और गर्भगृह

इस मंदिर को देखने में लगता है कि यह कभी भी गिर सकता है, लेकिन ककनमठ मंदिर सैकड़ों सालों से इसी तरह टिका हुआ है, यह एक अदभुत करिश्मा है। इसकी एक और विशेषता है कि इस मंदिर के आस-पास के सभी मंदिर टूट गए हैं, लेकिन ककनमठ मंदिर आज भी सुरक्षित है। मुरैना में स्थित ककनमठ मंदिर पर्यटकों के लिए आस्था का स्थल है। यहां की कला और मंदिर की बड़ी-बड़ी शिलाओं को देख कर पर्यटक भी इस मंदिर की तारीफ करने से खुद को नहीं रोक पाते हैं। मंदिर की दीवारों पर देवी-देवताओं की प्रतिमाएं पर्यटकों को खजुराहो की याद दिलाती हैं।

सैकड़ों साल बाद भी सुरक्षित

कहा जाता है कि रात में यहां वो नजारा दिखता है, जिसे देखकर किसी भी इंसान की रूह कांप जाएगी। ककनमठ मंदिर का इतिहास करीब एक हजार साल पुराना है। बेजोड़ स्थापत्य कला का उदाहरण ये मंदिर पत्थरों को एक दूसरे से सटा कर बनाया गया है। मंदिर का संतुलन पत्थरों पर इस तरह बना है कि बड़े-बड़े तूफान और आंधी भी इसे हिला नहीं पाए। कुछ लोग यह मानते हैं कि कोई चमत्कारिक अदृश्य शक्ति है, जो मंदिर की रक्षा करती है। इस मंदिर के बीचों-बीच शिवलिंग स्थापित है। 120 फीट ऊंचे इस मंदिर का ऊपरी सिरा और गर्भगृह सैकड़ों साल बाद भी सुरक्षित है।

(कंटेंट- पंकज ओझा)

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