For the best experience, open
https://m.sachbedhadak.com
on your mobile browser.

Clock Tower Jodhpur : जो सामान कहीं नहीं मिलता वो यहां मिले, जोधपुर के इस मार्केट के दुनिया भर में चर्चे

04:41 PM May 18, 2023 IST | Sanjay Raiswal
(रिपोर्ट : गिरीश दाधीच)

जोधपुर। रेगिस्तान का नाम आते ही राजस्थान में धूल भरी आंधियां और 50 डिग्री से ज्यादा के तापमान में तपती यहां की सड़कें हमारे जेहन में आती है। इसी रेगिस्तान के प्रवेश द्वार पर जोधपुर जिला बसा है। जोधपुर को ब्लू सिटी और सनसिटी भी कहा जाता है। कहते हैं कि जोधपुर शहर पहले मंडोर के पास बसा था। उसके बाद राव जोधा ने जोधपुर दुर्ग मेहरानगढ़ और शहर को यहां बसाया। शहर में मकानों का रंग ब्लू किया गया, ताकि यहां की गर्मी से बचा जा सके। बाद में जोधपुर शहर को ब्लू सिटी नाम देश और दुनिया में विख्यात हुआ, लेकिन क्या आप जानते है कि जोधपुर शहर में ऐसा भी मार्केट है जिसके देश-विदेश में चर्चे है। आज हम आपको जोधपुर जिले के ऐसे मार्केट के बारे में बताएंगे जहां पर आपको जन्म से लेकर मृत्यु तक का सामान आज भी वहां मिलता है।

Advertisement

ऐसा कहा जाता है कि आपको पूरे राजस्थान में शहर भर में कहीं पर भी अगर कोई सामान नहीं मिला तो घंटा घर के बाजार में जरूर मिलेगा। अगर रात में भी कोई सामान की जरूरत है और वह नहीं मिल रहा तो लोग इस उम्मीद से इस मार्केट में आकर उस सामान को पा सकते है। इस मार्केट को देखने के लिए देश-विदेश सैलानी यहां आते है और जमकर खरीददारी करते है।

महाराजा सरदार सिंह ने बनवाया था यह मार्केट

आज हम बात करेंगे जोधपुर के क्लॉक टावर घंटा घर सरदार मार्केट की जिसे लोग गिरदी कोट मार्केट के नाम से भी जानते हैं। सन 1880 में इस मार्केट की स्थापना महाराजा सरदार सिंह ने की थी। इस मार्केट को सरदार मार्केट और घंटाघर के नाम से जाना जाता है। इस मार्केट में रियासत काल से आधुनिक काल यानी आज के जमाने में भी यह मार्केट अपने वर्चस्व को बचाए हुए रखा है।

गुजरात से आए व्यापारी भी यहां आकर बाजार में बेचते हैं कपड़े

इस घंटाघर की खासियत यह है कि यहां पर देश-विदेश से सैलानी आते ही हैं साथ ही वहां से सामान खरीदकर ले जाते है। इस मार्केट में आपको बच्चों की किलकारी से लेकर अंतिम संस्कार का सामान भी इसी एक चारदीवारी के मार्केट में उपलब्ध मिलेगा। इस मार्केट की बात करें तो घंटाघर मार्केट में जोधपुर संभाग के ग्रामीण क्षेत्र के लोग और जोधपुर शहर के शहरवासी भी इस मार्केट में आते हैं।

ऐसा माना जाता है कि पूरे राजस्थान भर में कहीं पर भी अगर कोई सामान नहीं मिला तो वो सामान घंटाघर के बाजार में जरूर मिलेगा। यहां पर सब्जी मंडी लगाई नजर आएगी तो दूसरी और किराना मंडी नजर आएगी। तीसरी तरफ कबाड़ का सामान तो चौथी और बच्चों के स्कूल के कपड़े स्कूल के बैग टिफिन इत्यादि का बाजार दिखेगा।

बड़े-बड़े मॉल खुलने के बाद भी खरीददारी में कोई कमी नहीं

इस मार्केट में महिलाओं के श्रंगार से लेकर महिलाओं के कपड़े बच्चों के कपड़े, खाने की सामग्री सहित जीवन व्यापन करने के लिए जिस सामान की जरूरत होती है, वो इस घंटाघर मार्केट में आज भी उपलब्ध है। बता दें कि वर्तमान में जोधपुर शहर महानगर में तब्दील हो चुका है। जोधपुर में डिपार्टमेंटल स्टोर बड़े-बड़े मॉल खुल चुके हैं। फिर भी आज वर्षों पुराना घंटाघर सरदार मार्केट अपने अस्तित्व को बचाए हुए है।

बाजार में विदेशी सैलानी कर रहे खरीदारी।

इस मार्केट की स्थापना 1880 सन में महाराजा सरदार सिंह ने की थी। महाराजा सरदार सिंह का इस मार्केट को बसाने का उद्देश्य था कि मेरे राज्य की जनता को रोजगार के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा। उनकी यह भी सोच थी कि प्रजा को जो सामान चाहिए वह हर तरह का सामान इस एक बाजार में मिलना चाहिए। यह सोच लेकर महाराजा ने इस घंटाघर सरदार मार्केट की स्थापना की थी। इसका यही कारण है कि आज भी देश-विदेश से सैलानी इस मार्केट में घूमने आते हैं। जोधपुर का घंटाघर मार्केट देशी-विदेशी पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करता आ रहा है। यदि आप राजस्थान आए तो जोधपुर में इस मार्केट में जरूर आइएगा।

.