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Ganesh Chaturthi Special :  इस मंदिर की गणेश प्रतिमा को उठा नहीं सके थे सैकड़ों मजदूर, रोचक है मंदिर का इतिहास

07:30 AM Aug 30, 2022 IST | Jyoti sharma
ganesh chaturthi special    इस मंदिर की गणेश प्रतिमा को उठा नहीं सके थे सैकड़ों मजदूर  रोचक है मंदिर का इतिहास

Ganesh Chaturthi Special :  गणशे महोत्सव के रंग में पूरा देश रंगा हुआ है। हर कोई अपने घरों में गणेश प्रतिमा स्थापित करने की तैयारी कर रहा है। उनकी विशेष पूजा-अर्चना के बारे में तमाम पंडितों, आचार्यों से परामर्श ले रहे हैं। कई लोग गणेश चतुर्थी पर किसी प्रसिद्ध और सिद्ध मंदिर में गजानन के दर्शन करने की सोच रहे हैं। तो फिर हम आपको आज एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसके बारे में आपने बेहद कम सुना पढ़ा होगा। लेकिन अब इसके इतिहास के बारे में जानकर आपका भी मन वहां जाने को करेगा।

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बेहद प्राचीन है इंदौर का खजराना गणेश मंदिर

मध्य प्रदेश के इंदौर में बेहद प्राचीन मंदिर स्थित है, जिसका नाम है खजराना गणेश मंदिर। इसका निर्माण 16वी शताब्दी के बीच रानी अहिल्या बाई होल्कर ने कराया था। खजराना गणेश मंदिर पूर्वमुखी है और यह मंदिर एक टीले पर स्थित है। इस मंदिर कलाकारी इसकी हर दीवार और कोने-कोने में मिलती है। मंदिर में परिसर और शिखर में सुन्दर कलात्मकता उकेरी गई है। सबसे दिलचस्प बात यह  कि मंदिर परिसर में भगवान गणेश के अलावा 32 मंदिर और है जो इस मंदिर की भव्यता को बढ़ा देते हैं।

अहिल्याबाई होल्कर ने कराया निर्माण

इस मंदिर में स्थापित प्रतिमा के बारे में कई मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। इसके बारे में कहा जाता है कि यह प्रतिमा एक स्थानीय पंडित को सपने में दिखाई दी थी। यह सपना अहिल्या बाई होल्कर को भी आय़ा था। उन्होंने पंडित से विचार विमर्श कर उसी जगह पर खुदाई शुरू करवाई, जहां सपने में वो प्रतिमा मिली थी। लेकिन जब सैकडों मजदूरों ने मिलकर काफी गहरी खुदाई की तो उसमें पाषाण युग की एक विशाल प्रतिमा नजर आई। मजदूरों ने प्रतिमा को बाहर निकालने का प्रयास किया। लेकिन उन सैकड़ों मजदूरों से तो वह मूर्ति हिलाई भी न जा सकी। दरअसल अहिल्याबाई इस प्रतिमा को पहले से ही अपने महल में स्थापित कराने का मन बना चुकी थीं। लेकिन उन्हें अहसास हुआ  उन्होंने पहले से ही . सोचकर लसही नहीं किया है, गजानन की इच्छा शायद यहीं बसने की है।

प्रतिमा की पीठ पर उल्टा स्वास्तिक बनाने से पूरी होती है अर्जी

बस फिर क्या था,रानी अहिल्याबाई ने उसी जगह पर भव्य मंदिर का निर्माण शुरू कर दिया। जहां से इस प्रतिमा को निकाला गया वहां अब एक जलकुण्ड बना है जो मंदिर परिसर के सामने स्थित है।

इस मंदिर में बुधवार को होने वाली का आरती का विशेष महत्व है दूर-दराज से श्रद्धालु और यहां तक कि बड़े-बड़े सेलेब्रिटी यहां आते हैं। और यहां की इस प्रसिद्ध आरती में शामिल होते हैं। मंदिर में आने वाले श्रद्धालु अपनी-अपनी मनोंकामनाओं के साथ आते है और भगवान गणेश से उनकी पूर्ति की अर्ज करते है।

खजराना गणेश मंदिर की मान्यता है कि गणेश प्रतिमा की पीठ पर उल्टा स्वास्तिक बनाने से उस भक्त की हर मनोकामना को बप्पा पूरी करते हैं। इसके अलावा मंदिर की तीन बार परिक्रमा करने के बाद श्रद्धालु मन्नत का धागा दीवार पर बांधते है। इसलिए खजराना का यह प्राचीन मंदिर अपनी दिव्यता और मान्यता के कारण भक्तों की श्रद्धा का केन्द्र बना हुआ है।

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