जोधपुर के इस मंदिर में सिर्फ 1 दिन दर्शन देते हैं गणपति, सूंड में समाई हैं पत्नी रिद्धि...50 साल पुराना है इतिहास
Ganesh Chaturthi 2023: भगवान श्री गणेश जी महाराज की अपनी एक महीमा है। वे 52 मुद्राओं को लोगों को दर्शन देते हैं। चतुर्थी के साथ ही गणेश उत्सव की शुरुआत हो चुकी है। प्रदेश के बड़े मंदिरों में 10 दिन तक इस महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। इस खास मौके पर हम आपको जोधपुर स्थित गणेश के एक अनोखे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। इस मंदिर की खासियत यह है कि यह सालभर में गणेश चतुर्थी पर एक दिन सिर्फ 12 घंटों के लिए ही खुलता है। आइए जानते हैं इसके पीछे का रहस्य।
जोधपुर में होते हैं गणेश जी की 8वीं मुद्रा के दर्शन
जोधपुर स्थित इस मंदिर में गणेश जी सिर्फ अपनी एक पत्नी रिद्धि के साथ दर्शन देते हैं। बाकी मंदिरों में वह अपनी दोनों पत्नियों रिद्धि और सिद्धि के साथ दर्शन देते हैं। जोधपुर स्थित गणेश मंदिर में सालभर बंद रहता है सिर्फ गणेश चतुर्थी के दिन 12 घंटे के लिए विशेष पूजा-अर्चना के साथ खोला जाता है।
दावा किया जाता है कि भगवान गणेश की 52 मुद्राओं में से एक आठवीं मुद्रा के दर्शन यहीं पर होते हैं। यह मंदिर जोधपुर शहर के किला रोड़ स्थित सिंघाड़ियों की बारी में स्थित है।
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50 साल पुराना है ये अनोखा मंदिर
जोधपुर स्थित गणेश जी का यह मंदिर 50 साल पुराना है। यहां भगवान अमरनाथ महादेव मंदिर के साथ इसी परिवार में नवग्रह और रावण का मंदिर भी है। 26 साल पहले इसी मंदिर में उच्छिष्ट गणपति के नाम से प्रतिमा स्थापित किया गया था। यह प्रतिमा रात के समय स्थापित किया गया था,
तभी से इस मंदिर को साल में एक बार ही खोला जाता है और वह भी शाम से लेकर अगले दिन सुबह तक। यहां के लोग इस मंदिर में दर्शन करने के लिए सालभर इंतजार करते हैं। इस 19 सितंबर की शाम से लेकर 20 सितंबर सुबह 7 बजे तक यह मंदिर दर्शन के लिए खुला रहेगा।
14 साल तक किसी ने नहीं छुआ इस प्रतिमा को
मंदिर के पंडित कमलेश दवे का कहना है कि इस प्रतिमा को 40 साल पहले बनाया गया था। इस प्रतिमा का निर्माण जयपुर में ब्रह्माशक्ति मूर्ति भंडार में करवाया गया था। इस प्रतिमा को स्थापित करने से पहले इसे तंत्र विद्या से प्रतिष्ठित किया जाता है इसलिए 14 साल तक इसे किसी ने हाथ नहीं लगाया।
ये प्रतिमा उसी दुकान में रही, जहां इसे बनाया गया था। 26 साल पहले पंडित शिवनारायण दवे उर्फ सरदारजी, प. काशीराम, पं. पुखराज दवे, पं. ज्वालाशंकर दवे, पं. महेश जोशी, पं. प्यारेलाल बोहरा, पं. श्रवणदत्त बोहरा ने मिलकर इसे तंत्र विद्या से प्रतिष्ठित किया गया।
मंदिर के पट खुलने से पहले होती विशेष पूजा
इस मंदिर की खासियत है कि इसके पट खुलने से पहले पंडित 4 घंटे तक विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। इस दौरान 10 हजार आहूतियां दी जाती है। इसके बाद आह्वान कर भगवान गणपति के दर्शन के लिए खोला जाता है। 12 घंटे के बाद इस मंदिर के पट दोबारा विधि विधान से बंद कर दिया जाता है। सालभर तक कोई इसकी कुंडी तक को नहीं छूता है।
गणेश की सूंड में समाई हैं रिद्धि
पंडित कमलेश दवे बताते हैं कि इस अनूठी मूर्ति के साथ भगवान गणेश की पत्नी रिद्धि हैं। वह भी उनकी सूंड में समाई हैं। इसलिए यह मूर्ति अपने आप में अनूठी है और यहां फोटो खींचना और वीडियोग्राफी करना सख्त मना है। मंदिर में कोई भी भक्त मोबाइल नहीं ले जा सकता है।
पंडित के मुताबिक, उच्छिष्ट शब्द का अर्थ झूठन से है। ऐसा कहा जाता है कि माता पार्वती ने इसकी सिद्धि प्राप्त करने के लिए भगवान शंकर से कहानी सुनी थी। इस पर शिव ने पार्वती से कहा बिना ध्यान, बिना मंत्र, बिना हवन केवल दर्शन से ही वांछित फल प्राप्त होंगे। उच्छिष्ट गणपति 51 गणपति नाम में से आठवें स्थान पर आते हैं और इसलिए यह सबसे पावरफुल फल देते हैं।
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दर्शन मात्र से दूर हो जाती हैं सारी बांधाएं
मान्यता है कि जोधपुर स्थित गणेश मंदिर में दर्शन मात्र से ही व्यापार वृद्धि, विद्या, नौकरी, संतान और विवाह संबंधी सभी बाधांए दूर हो जाती हैं। इस मूर्ति का ऐसा आकर्षण है कि जो इसका एक बार दर्शन करता है उसे कई दिनों तक स्मृति रहती है।