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Rajasthan University में आपसी विवाद में फंसा शोधार्थियों का भविष्य, 9 रिसर्च स्कॉलर का पीएचडी में प्रवेश रद्द

07:58 AM May 26, 2023 IST | Supriya Sarkaar

जयपुर। राजस्थान विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग में गुरुवार को विभागाध्यक्ष ने एक आदेश जारी कर नौ शिक्षक पीएचडी स्टूडेंट का प्रवेश रद्द कर दिया। विभागाध्यक्ष ने यूजीसी के नियमों का हवाला देते हुए कहा कि शिक्षकों का प्रवेश प्रारंभ से ही रद्द कर दिया गया है, क्योंकि उन्हें यूजीसी विनियम 2016 के खंड 6.5 का उल्लंघन करके प्रवेश दिया गया था। अकादमिक परिषद के सदस्यों ने बेईमानी और (Rajasthan University) धोखाधड़ी से नकली दस्तावेज तैयार किए थे। 

उन्होंने आदेश में लिखा कि अकादमिक परिषद के सदस्य भी उपरोक्त दस्तावेजों को तैयार करने में शामिल थे। अकादमिक परिषद के सदस्य द्वारा तैयार किए गए इन कूटरचित दस्तावेजों को अकादमिक परिषद ने मंजूरी दे दी थी। उन्होंने कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि यूजीसी के नियम वैधानिक और अनिवार्य हैं। यहां तक कि देश में विश्वविद्यालय कोई दिशा निर्देश या नीति नहीं बना सकते हैं, जो केंद्र या केंद्रीय निकाय द्वारा निर्धारित मानकों के विपरीत हों। 

सिंडीकेट द्वारा अध्यादेश बनाए जाएंगे, लेकिन ऐसा कोई अध्यादेश तब तक प्रभावी नहीं होगा जब तक कि इसे कुलाधिपति द्वारा अनुमोदित नहीं किया जाता है। वहीं जानकारों का कहना है कि इन नौ शिक्षक शोधार्थियों को विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार ही प्रवेश दिया गया। विभागाध्यक्ष ने आपसी विवाद में स्टूडेंट्स का भविष्य अधर झूल में डाल दिया।

यह है पूरा मामला

प्रोफेसर 8, असिस्टेंट प्रोफेसर 6 और एसोसिएट प्रोफेसर 4 स्टूडेंट को पीएचडी करवा सकता है। आरयू के अनुसार सभी प्रोफेसर 2 सीटों पर शिक्षकों को पीएचडी करवा सकते हैं। विभागाध्यक्ष की ओर से जारी आदेश में शिक्षक को प्रवेश नियमानुसार नहीं देने का हवाला दिया गया है। ऐसे में यदि ऐसा आदेश लागू होता है तो सत्र 2020-21 में हुई एमपेट परीक्षा के 354 शिक्षक शोधार्थियों का पीएचडी में प्रवेश प्रभावित होगा।  

इनका नामांकन रद्द 

सत्र 2020-21 की एमपेट परीक्षा से प्रवेश हुए शुभलता यादव, सुमन गोदारा, साक्षी मीणा, संगीता पांचाल, सेदू राम रावत, सुधा, कुंजी लाल मीणा, मोनिका शेखावत, बालकिशन मालाकार का प्रवेश गाइड अलॉट होने बाद प्रवेश रद्द कर दिया गया।

ये आदेश नियमों के विरुद्ध है। शिक्षकों का प्रवेश नियमों के तहत हुआ था। ऐसे में तो सैकड़ों शिक्षकों की पीएचडी पर संकट आ जाएगा। ऐसा आदेश जारी कर प्रवेश रद्द करने का अधिकार विभागाध्यक्ष के पास नहीं होता है। उन्होंने सिडिंकेट को चैलेंज किया है- संजय, अध्यक्ष रुटा

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