For the best experience, open
https://m.sachbedhadak.com
on your mobile browser.

Sawai Madhopur Vidhan Sabha: वो सीट जहां जनता हर बार चुनती है नया विधायक, 1957 में बने थे 2 MLA

अगर सवाई माधोपुर विधासभा क्षेत्र के पिछले 73 साल के चुनावी इतिहास की बात करें तो यहां पर सबसे अधिक सात बार कांग्रेस ने परचम लहराया है।
12:23 PM Oct 06, 2023 IST | Anil Prajapat
sawai madhopur vidhan sabha  वो सीट जहां जनता हर बार चुनती है नया विधायक  1957 में बने थे 2 mla

Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव के दिन नजदीक आ रहे हैं। वैसे-वैसे बीजेपी-कांग्रेस सहित कई राजनीतिक पार्टियां चुनावी दंगल में ताल ठोकने में जुटी हुई है और वोटर्स को लुभाने के लिए नए-नए हथकंड़े अख्तियार करना शुरू कर दिया है। ऐसे में इस बार ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या राजस्थान में इतिहास खुद को दोहराता है या फिर कांग्रेस की सरकार वापस रिपीट होगी। वैसे अब तक के राजनीतिक चुनावी इतिहास की बात करें तो एक बार कांग्रेस और एक बार बीजेपी के आने के सिलसिला जारी है।

Advertisement

लेकिन, इस बार राजस्थान के 6.96 लाख नए वोटर्स ही आने वाली सरकार के बारे में फैसला करेंगे। वहीं, सवाई माधोपुर में दस लाख वोटर्स विधायकों की किस्मत का फैसला करेंगे। जिनमें से 43 हजार 724 नए मतदाता है। अगर सवाई माधोपुर विधासभा क्षेत्र के पिछले 73 साल के चुनावी इतिहास की बात करें तो यहां पर सबसे अधिक सात बार कांग्रेस ने परचम लहराया है।

वहीं, बीजेपी ने तीन बार, निर्दलीय ने चार बार, जनता पार्टी और जनता दल ने एक-एक बार जीत दर्ज की है। ऐसे में अब सवाल ये है कि सवाईमाधोपुर विधानसभा में इस बार जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा। लेकिन, विधानसभा चुनावों को लेकर सवाईमाधोपुर का इतिहास खासा रोचक रहा है।

क्यों खास है सवाईमाधोपुर का इतिहास?

सवाईमाधोपुर विधानसभा सीट कुछ ऐसी है, जहां की जनता ने हर बार अपना नया विधायक चुनकर विधानसभा में भेजा है। लेकिन, एकमात्र मोतीलाल ही ऐसे विधायक है, जो दो बार विधायक चुने गए। इसके अलावा जब भी कोई विधायक बना, दोबारा कभी जीत नहीं पाया है। साल 1985 में मोतीलाल निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीतकर विधायक चुने गए। इसके बाद साल 1990 में जनता दल के टिकट पर चुनाव जीतकर मोतीलाल दूसरी बार सवाईमाधोपुर से विधायक चुने गए थे।

इसके अलावा यहां एक मौका ऐसा भी आया था जब दो विधायक चुने गए थे। राजस्थान पुनर्गठन अधिनियम 1956 के कारण सवाईमाधोपुर से साल 1957 में मांगीलाल व आबिद अली विजयी होकर विधायक चुने गए थे। खास बात ये भी है कि इस विस क्षेत्र से एक बार ही महिला विधायक चुनी गई है।

सात बार बीजेपी ने लहराया परचम

साल 2018 में सवाई माधोपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस के दानिश अबरार ने बीजेपी की आशा मीना को 25 हजार 199 वोटों से हराया था। लेकिन, इससे पहले इतिहास देखें तो कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 6 बार जीत दर्ज की थी। आजादी के बाद साल साल 1951 में कांग्रेस के शिवदास गोयल, साल 1957 में कांग्रेस के मांगीलाल और आबिद अली, साल 1972 में फारुक हसन, साल 1998 में यास्मीन अबरार, साल 2008 में अलाउद्दीन आजाद और साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के दानिश अबरार ने जीत दर्ज की।

अब तक कांग्रेस ही नहीं निर्दलीय भी बीजेपी पर भारी

खास बात ये है कि कांग्रेस तो सवाईमाधोपुर में नंबर वन पार्टी है। लेकिन, यहां निर्दलीय भी बीजेपी पर भारी है। यानी अब तक चार बार निर्दलीय और तीन बार बीजेपी ने जीत दर्ज की है। आंकड़ों की बात करें तो साल साल 1980 में बीजेपी के हंसराज शर्मा, साल 2003 में डॉ. किरोड़ी लाल मीना और साल 2013 में दिया कुमारी ने जीत दर्ज की।

वहीं, साल 1962 में निर्दलीय रामसिंह, साल 1967 में हरिबल्लभ शर्मा, साल 1985 में मोतीलाल मीना और साल 1993 में नरेंद्र कंवर सवाईमाधोपुर से विधायक चुने गए। इसके अलावा साल 1977 में जनता पार्टी के मंजूर अली और साल 1990 में जनता दल के मोतीलाल मीना ने विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की।

इस बार बीजेपी दे सकती है कांग्रेस को मात!

सवाईमाधोपुर में वर्तमान में कांग्रेस के दानिश अबरार विधायक है। लेकिन, इस बार यहां कांग्रेस की जीत पर खतरा मंडर रहा है। क्योंकि सवाईमाधोपुर में जाति ही जीत का सबसे बड़ा फैक्टर है। इस बार माना जा रहा है कि डॉ किरोड़ी लाल मीणा को बीजेपी यहां से टिकट देने जा रही है।

क्योंकि इनका इस क्षेत्र में अच्छा खासा प्रभाव है और सवाई माधोपुर सीट पर मीणा वोटरों की आबादी भी सबसे अधिक आबादी है। ऐसे में मीणा वोटर्स का रुझान बीजेपी की तरफ जा सकता है, जो बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती होगा। हालांकि, कांग्रेस से दानिश अबरार, लईक अहमद और डिग्गी मीणा दावेदारी के लिए दांवपेच की जुगत में लगे हुए हैं।

ये खबर भी पढ़ें:-200 करोड़ की शादी…बुरे फंसे कई फिल्मी सितारें, जानें-सौरभ ने कैसे खड़ा किया काली कमाई का गोरखधंधा?

.