चार साल बाद सरकार ने बदला रंग, शासन के आयोजन में तिरंगे की जगह चार रंग की थीम का हुआ इस्तेमाल
पंकज सोनी। जयपुर। चार साल बाद प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने शासन के रंग को बदल दिया है। सरकारी आयोजन में शासन का अहसास करवाने वाली तिरंगा की थीम को पहली बार बदला गया है। राजस्थान इंटरनेशनल सेन्टर पर गुरुवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ आला अधिकारियों के मंथन में तिरंगे की जगह चार रंग की थीम का इस्तेमाल किया गया।
तिरंगा कलर थीम के केसरिया में अलग से हल्के लाल रंग का भी उपयोग किया गया। सरकारी कार्यक्रम ऐसा में पहली बार हुआ। रंगों के ज्याेतिषीय आकलन में इस बदलाव के मायने माने जा रहे हैं। वहीं, राजनीतिक हिसाब से केसरिया और लाल रंग का अलग-अलग विचारधाराओं से ताल्लुक माना जाता है। केसरिया को राइटिस्ट तो लाल को लेफ्टिस्ट विचारों के साथ देखा जाता है।
यह होती है तिरंगे की थीम भारत का राष्ट्रीय ध्वज तीन रंगों का होता है, जिसे तिरंगा भी कहा जाता है। इसमें तीन रंग यानी सबसे ऊपर के सरिया, बीच में सफे द और सबसे नीचे गहरे हरे रंग की पट्टी मौजूद होती है। इसमें के सरिया रंग ‘त्याग और बलिदान’, सफे द ‘शांति, एकता और सच्चाई’ तथा हरा रंग ‘विश्वास और उर्वरता’ का प्रतीक है। इसी थीम को आयोजनों में इस्तेमाल किया जाता है।
क्या कहती है ज्योतिष विशेषज्ञ
वैदिक ज्योतिष विशेषज्ञ डॉ. लता श्रीमाली के अनुसार मंगल ग्रह लाल रंग का प्रतिनिधित्व करता है। यह ग्रह उत्साह, उमंग, साहस, क्रोध, आगजनी और हिंसा का भी प्रतिनिधित्व करता है। लाल रंग का प्रयोग करने पर जहां जनता और प्रशासन में उत्साह, उमंग, साहस में बढ़ोतरी की, वहीं क्रोध, हिंसा, आगजनी एवं अपराधों में भी बढ़ोतरी की संभावना रहती है। अतः तिरंगे में लाल रंग का प्रयोग किया जाना शुभ फलदायक नहीं है।
जानबूझकर या कॉपी पेस्ट
बताया जा रहा है कि इसी तरह के आयोजनों का काम आजकल निजी कंपनियों को दिया जाता है। केवल उन्हें थीम बता दी जाती है। अब बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि क्या ऐसा जानबूझ कर किया गया या इंनटरनेट से कॉपी पेस्ट के चक्कर में यह गलती हुई है? इस आयोजन से जुड़े एक अफसर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि यह इंटरनेट से कॉपी पेस्ट के कारण गड़बड़ हुई है, लेकिन कलर में कोई ज्यादा फर्क नहीं है।
भाजपा ने साधा निशाना
भाजपा के उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनियां ने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा तिरंगे का उपयोग ही किया है, सम्मान नहीं है। केसरिया रंग त्याग, शौर्ये का होता है। कांग्रेस को हमेशा से इस रंग से चिढ़ रही है। सरकार को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए कि यह गलती से हुआ है या फिर सरकार के सरिया के विरोध में है।