पूर्व CM राजे ने कांग्रेस पर चलाए शब्दबाण-आज कल राजस्थान में एक ही शोर... अली बाबा चालीस चोर...
जयपुर। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) ने प्रतापगढ़ दौरे के दौरान कांग्रेस सरकार पर खूब शब्दबाण चलाए। वसुंधरा राजे शनिवार को जिले के होरी गांव में मुरलीधर जी महाराज के यहां रामकथा कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंची। जहां पर राजे ने उनको लेकर दिए जा रहे बयानों पर पलटवार करते हुए कहा कि आज कल तो राजस्थान में एक ही शोर, अली बाबा चालीस चोर, चल रहा है।
राजे ने परोक्ष रूप से प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि राजस्थान में ऐसे लोगों के हाथ में कमान हैं, जिन्होंने सोच लिया है आना तो हैं ही नहीं, खाओ और मौज उड़ाओ। उन्होंने मंच से कहा कि वो दो ही समाज को मानती हैं। एक महिला समाज और दूसरा पुरुष समाज। दोनों बराबर हैं, किसी को कम नहीं आंकना चाहिए, लेकिन आज भी महिलाओं को कम आंका जाता है, जो गलत है। उनके साथ पूर्व मंत्री श्रीचंद कृपलानी भी रहे। राजे ने होरी के हनुमान जी के दर्शन भी किए और पूजा अर्चना की। उन्होंने प्रतापगढ़ में पूर्व मंत्री नंद लाल मीणा की कुशल क्षेम भी पूछी।
वफादारी का किया जिक्र
वफादारी का कभी कोई जिक्र होता है, तो सर्व प्रथम राम भक्त हनुमान का ही नाम आता है। लेकिन आज कल तो सबसे पहले वह ही साथ छोड़ते हैं, जिनको आपने हनुमान बनाया। उन्होंने यह भी कहा कि जिस पर भगवान की कृपा है, उसे किसी से डरने की आवश्यकता नहीं है। जीत हमेशा उसी की होती है।
सीएम अशोक गहलोत के बयान के बाद विवाद
प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हाल ही एक बयान देकर वसुंधरा राजे पर संकट के समय उनकी सरकार बचाने में साथ देने की बात कहकर विवाद खड़ा कर दिया था। सीएम गहलोत ने राजाखेड़ा में कहा था कि वसुंधरा राजे, कैलाश मेघवाल और शोभारानी की वजह से उनकी सरकार गिरने से बच गई थी। सीएम गहलोत ने इस दौरान भारत के गृह मंत्री और भाजपा नेता अमित शाह पर विधायकों की खरीद फरोख्त के आरोप लगाए थे। राजे ने अशोक गहलोत के इस बयान के बाद तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए इस बयान को झूठ और अपने खिलाफ साजिश बताया था।
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मौका मिलते ही लोग कुर्सी हथियाने की कोशिश में
राजे ने कहा कि भगवान राम, सीता, लक्ष्मण, भरत और हनुमान हमें हर मुश्किल में मजबूती के साथ मुकाबला करने की सीख देते हैं। राम ने वनवास जाकर सिद्ध किया कि वह दशरथ के आज्ञाकारी पुत्र हैं। उन्होंने शबरी के जूठे बेर खाकर जात-पांत से ऊपर उठने का संदेश दिया। वनवास राम को मिला था, सीता और लक्ष्मण को नहीं। फिर भी वे उनके साथ गए। एक ने पत्नी और एक ने भाई का धर्म निभाया। राजतिलक भरत का होना था, लेकिन भरत इसके लिए तैयार नहीं थे। राजे ने कहा कि भगवान की चरण पादुकाएं सिंहासन पर रख कर ही राज्य चलाया। जबकि आज मौका मिलते ही लोग कुर्सी हथियाने की कोशिश में लग जाते हैं।
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