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विदेशी महिलाओं ने किया पूर्वजों का श्राद्ध, पूजारी बोले- सनातन संस्कृति पर गर्व, जैसलमेर का मामला

हिंदू धर्म में पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, जो 16 दिनों तक चलता है। इस दौरान पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने की परंपरा है।
05:26 PM Oct 13, 2023 IST | Kunal Bhatnagar
विदेशी महिलाओं ने किया पूर्वजों का श्राद्ध  पूजारी बोले  सनातन संस्कृति पर गर्व  जैसलमेर का मामला

Jaisalmer News: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, जो 16 दिनों तक चलता है। इस दौरान पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने की परंपरा है। मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध कर्म करने से पितृ तृप्त होते हैं और पितृ ऋण कम होता है। पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से आश्विन अमावस्या तक पितृ पक्ष होता है और इन 16 दिनों के दौरान पितरों के लिए श्राद्ध किया जाता है।

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इस बीच जैसलमेर से एक सामने आई एक खबर ने सभी का ध्यान अपनी और आकर्षित कर लिया है। दरअसल, फ्रांस की 17 महिलाओं ने श्राद्ध पक्ष का महत्व जानने के बाद सनातन रीति-रिवाज से पूजा-पाठ कर अपने पुरखों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए श्राद्ध किया।

सकारात्मक हो रही महसूस

ग्रुप लीडर सनड्रीन द्वारा इस बारें में कहा गया कि जब हमने पुष्कर (अजमेर) और गड़ीसर झील पर श्राद्ध होते देखा तो अपने गाइड से इसके बारे में पूछा। गाइड ने सभी को श्राद्ध पक्ष के बारे में जानकारी दी। तब हम सभी ने इस अनुष्ठान को पूरे मन से करने का निर्णय लिया।

जैसलमेर के पंडित आनंद रामदेव ने गड़ीसर झील पर तर्पण करने की व्यवस्था की। इसके बाद समूह की सभी विदेशी महिलाओं ने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। उन्होने कहा इसको करने के बाद काफी सकारात्मक महसूस कर रही हैं।

अपनी सभ्यता-संस्कृति पर गर्व

विदेशी महिलाओं के पितरों का श्राद्ध कराने वाले पंडित आनंद रामदेव ने जानकारी देते हुए कहा कि जब विदेशियों ने श्राद्ध पक्ष में अपने पूर्वजों के लिए तर्पण क्रिया और श्राद्ध करवाने की बात कही तो मुझे अपनी सभ्यता-संस्कृति पर गर्व हुआ। ऐसे में विदेशी महिलाओं के लिए श्राद्ध की सभी सामग्री इकट्ठी की गई और मंत्र आदि के साथ तर्पण करवाया गया।

इस दौरान 17 महिलाओं ने अपने-अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध किया और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। किसी ने अपने दादा-दादी तो किसी ने अपने नाना-नानी की आत्मा के मोक्ष के लिए तर्पण किया।

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