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प्राण प्रतिष्ठा के बाद कितने घंटे खुलेगा मंदिर? भक्तजन कब कर सकेंगे दर्शन, मंदिर ट्रस्ट ने दी बड़ी जानकारी

राम मंदिर के उद्घाटन के बाद मंदिर हर दिन 14 घंटे के लिए खोला जाएगा। इस दौरान डेढ़ लाख श्रद्धालु दर्शन करेंगे। दर्शन के लिए तय समय की बात करें तो भक्त सुबह 7 बजे से 11.30 बजे तक दर्शन कर सकेंगे।
01:41 PM Jan 07, 2024 IST | Kunal Bhatnagar

Timings to Visit Ram Temple: अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने पहली बार सोशल मीडिया पर देश-दुनिया के श्रद्धालुओं को मंदिर निर्माण के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। श्रद्धालुओं को मंदिर के स्वरूप और विशेषताओं के बारे में जानकारी दी गई है। अब श्रद्धालुओं के मन में सवाल है कि आखिर अयोध्या में भगवान श्रीराम का मंदिर कितने समय तक खुला रहेगा। आइए जानते है इसके बारें में…

14 घंटे के लिए खोला जाएगा मंदिर

राम मंदिर के उद्घाटन के बाद मंदिर हर दिन 14 घंटे के लिए खोला जाएगा। इस दौरान डेढ़ लाख श्रद्धालु दर्शन करेंगे। दर्शन के लिए तय समय की बात करें तो भक्त सुबह 7 बजे से 11.30 बजे तक दर्शन कर सकेंगे। इसके बाद रामभक्त दोपहर 2 बजे से शाम 7 बजे तक रामलला के दर्शन कर सकेंगे। बिना किसी रोक-टोक के दर्शन किये जा सकते है। संभव है कि इस दौरान बदलाव किये जा सकते है।

तीन मंजिला होगा भगवान का मंदिर

पूरा मंदिर परिसर परम्परागत नागर शैली में बनाया जा रहा है। मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट तथा ऊंचाई 161 फीट है। भगवान राम जी का मंदिर तीन मंजिला रहेगा। प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट है। मंदिर में कुल 392 खंभे व 44 द्वार होंगे। मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालरूप तथा प्रथम तल पर श्रीराम दरबार होगा। इस मंदिर में 5 मंडप होंगे। इनमें नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप व कीर्तन मंडप शामिल है।

मंदिर के चारों कोनों बनाया गए चार मंदिर

मंदिर के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति और भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का बनाया गया है। उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा और दक्षिणी भुजा में हनुमानजी का मंदिर रहेगा। मंदिर के पास पौराणिक काल का सीताकूप रहेगा। मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर- महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी व ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित किया गया है।

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