राजस्थान की 16वीं विधानसभा का पहला सत्र आज से…पहली बार मंत्रिमंडल गठन से पहले विधायक लेंगे शपथ
16th vidhan sabha : जयपुर। राजस्थान की नवगठित 16वीं विधानसभा का पहला सत्र आज से शुरू होगा। दो दिवसीय पहले सत्र में नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाई जाएगी। राज्यपाल कलराज मिश्र ने सत्र बुलाने की स्वीकृति दे दी है। सत्र के पहले दिन नव निर्वाचित सदस्यों को प्रोटेम स्पीकर कालीचरण सराफ द्वारा शपथ दिलाई जाएगी। वहीं, दूसरे दिन स्पीकर का चुनाव होगा। सीएम भजनलाल शर्मा भी शपथ लेंगे।
उल्लेखनीय है कि इस बार 16वीं विधानसभा में भाजपा के 46, कांग्रेस के 19 और अन्य 7 विधायक पहली बार विधायक पद की शपथ लेंगे। इधर, विधानसभा स्पीकर को लेकर भाजपा की ओर से दावेदार वासुदेव देवनानी की जीत सुनिश्चित मानी जा रही है। देवनानी को कांग्रेस का समर्थन भी मिल सकता है।
सूत्रों के मुताबिक यदि विपक्ष देवनानी को समर्थन देता है तो उनका चुनाव निर्विरोध भी हो जाएगा। बुधवार को विधानसभा सत्र बुलाए जाने को लेकर प्रशासन ने सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली है। विधानसभा के बाहर बेरिकेट्स लगाए गए हैं। पुलिस अधिकारियों ने सुरक्षा के मध्येनजर सभी आवश्यक तैयारियां की है।
मंत्रिमंडल के गठन से पहले विधायकों की शपथ
प्रदेश में यह संभवत पहला मौका है, जब मंत्रिमंडल के गठन से पहले विधायकों की शपथ हो रही है। यहीं नहीं संभवत भजनलाल शर्मा पहले ऐसे विधायक हैं, जो विधायक से पहले मुख्यमंत्री के तौर पर विधानसभा पहुंचेंगे। इससे पहले नई विधानसभा का पहला सत्र जनवरी में होता आया है, इसलिए सत्र से पहले मंत्रिमंडल का गठन हो जाया करता था। इस बार विधायकों की शपथ पहले हो रही है।
इसी सप्ताह हो सकता है मंत्रिमंडल का गठन!
विधायकों का शपथ कार्यक्रम पूरा होने के बाद इसी सप्ताह नए मंत्रिमंडल का ऐलान भी हो सकता है। मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने वाले नामों को लेकर सीएम भजनलाल शर्मा दिल्ली में बीजेपी आलाकमान से चर्चा कर चुके हैं। पहले चरण में 18 से 20 विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है।
राजस्थानी भाषा में शपथ लेने की मांग
16वीं विधानसभा में पहुंचने वाले कई विधायकों ने राजस्थानी भाषा में शपथ लेने की बात कही है। हालांकि इस मांग को लेकर विधि विशेषज्ञों की राय ली जा रही है। संवैधानिक विषयों के जानकार भी विधायकों को इस भाषा में संविधान के अनुच्छेद 210 के तहत मातृभाषा में शपथ लेने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। गौरतलब है कि राजस्थानी भाषा को 2003 से संवैधानिक मान्यता देने का मामला अटका हुआ है। इसको लेकर कई आंदोलन भी चल रहे हैं लेकिन अभी तक मान्यता का इंतजार है।
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