किसान किराये पर ले सकेंगे ड्रोन, खरीदेंगे तो मिलेगा 40 फीसदी अनुदान
जयपुर। प्रदेश के किसानों को अपनी फसलों में रासायनिक पदार्थो के छिड़काव के लिए अब परेशान नहीं होना पड़ेगा। कृषि विभाग द्वारा प्रदेश भर में 1500 ड्रोन कस्टम हायरिंग केंद्रों पर उपलब्ध कराए जाएंगे। जहां से किसान किराये पर ड्रोन ले सकते हैं। इसके अलावा स्वयं खरीदने वाले किसानों को ड्रोन पर लागत का 40 प्रतिशत अधिकतम 4 लाख रुपए के साथ ही खेतों पर प्रदर्शन के लिए अधिकतम 6 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर का अनुदान दिया जाएगा।
कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने बुधवार को जोशीवास गांव, जोबनेर में राज्य स्तरीय ड्रोन तकनीकी का सजीव प्रदर्शन कर इस योजना का शुभारम्भ किया। इस मौके पर लालचंद कटारिया ने बताया कि दुनिया भर में कृषि कार्यों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ड्रोन का उपयोग बढ़ रहा है। इसलिए प्रदेश के किसानों को तकनीक से जोड़ने के लिए 2 वर्षों में प्रदेश के प्रत्येक ब्लॉक में ड्रोन कस्टम हायरिंग केंद्रों पर उपलब्ध कराए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि प्रदेश के ऎसे कृषक जो सीमित आय के कारण उन्नत एवं महंगे कृषि उपकरणों को क्रय करने में सक्षम नहीं हैं, उन्हें ड्रोन किराए पर उपलब्ध कराए जाएंगे। इससे किसान कम लागत एवं समय में व्यापक क्षेत्र में रसायनों का छिड़काव कर सकेंगे।
ड्रोन तकनीक किसानों के लिए वरदान
कृषि आयुक्त कानाराम ने बताया कि पारंपरिक तरीके से छिड़काव के मुकाबले ड्रोन से छिड़काव में 70-80 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है। खड़ी फसल में पोषक तत्वों की कमी का निर्धारण एवं उनकी पूर्ति ड्रोन के माध्यम से आसानी से की जा सकती है। उन्होंने कहा कि ड्रोन रसायन छिड़काव के साथ सिंचाई निगरानी, फसल स्वास्थ्य की निगरानी, मर्दा विश्लेषण, फसल नुकसान का आकलन और टिड्डी नियंत्रण जैसे कार्यों को बेहतर ढंग से करने में उपयोगी हैं।
प्रथम चरण में नैनो यूरिया के उपयोग को बढ़ावा
योजना के प्रथम चरण में किसानों को नैनो यूरिया के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है। इसमें किसानों को जागरूक करने के लिए प्रत्येक जिले में कुल 20 हैक्टेयर क्षेत्र में ड्रोन प्रदर्शन कर रसायनों का छिड़काव किया गया। कटारिया ने बताया कि कृषि कार्यों में ड्रोन तकनीकी द्वारा फसलों में रसायनों के छिड़काव का सजीव प्रदर्शन की शुरुआत प्रदेश भर में की गई। प्रदेश में यूरिया की कमी को दर करने के लिए उसकी जगह नैनो यूरिया को बढ़ावा दिया जा रहा है, ताकि यूरिया की कमी को पूरा किया जा सके।