राजस्थान में आई फ्लू का कहर, SMS में रोज आ रहे 200 से ज्यादा केस, अन्य अस्पतालों में बुरा हाल!
Eye flu : जयपुर। बारिश के दिनों में एक तरफ मौसमी बीमारियों में इजाफा हो रहा हैं तो दूसरी ओर प्रदेशभर में आई फ्लू का कहर देखने को मिल रहा है। राजधानी जयपुर सहित हर शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में आई फ्लू के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। अस्पतालों की ओपीडी में हालात ऐसे है कि जितने मरीज रोज इलाज के लिए आ रहे है.
उनमें आधे से ज्यादा आई फ्लू से ग्रसित है। खास तौर पर छोटे बच्चों में इसका ज्यादा असर देखा जा रहा है। हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि यह कोई जानलेवा बीमारी नहीं है। लेकिन, बचाव बहुत जरूरी है। आंख में फैले इंफेक्शन के कारण हालात ऐसे बन गए है कि अधिकतर मरीज आई फ्लू के ही सामने आ रहे है। जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में रोजाना 200 से ज्यादा केस आई फ्लू के आ रहे है।
जयपुरिया में नेत्र विभाग की ओपीडी में दो तिहाई से अधिक मरीज आंख की बीमारी से पीड़ित है। प्रदेश के सभी छोटे-बड़े अस्पतालों में भी ऐसे ही हालात बने हुए है। बता दें कि बारिश के इन दिनों में एडिनो वायरस का संक्रमण ज्यादा फैलाता है। हालांकि, कुछ दिनों में स्वतः चला जाता है और आखें ठीक हो जाती है। यह वायरस आंखों पर हमला करता है जिसे हम आंखें आना भी कहते है।
क्या है आई फ्लू और कितना खतरनाक ?
आमतौर पर आई फ्लू एक एलर्जिक रिएक्शन के कारण होता है। बैक्टीरिया का संक्रमण इसके लिए जिम्मेदार है। श्वसन तंत्र या नाक-कान अथवा गले में किसी तरह के संक्रमण के कारण वायरल कंजंक्टिवाइटिस होता है। इस संक्रमण की शुरुआत पहली आंख से ही होती है और फिर दूसरी आंख को भी चपेट में ले लेता है। हालांकि, आई फ्लू यानी कंजंक्टिवाइटिस जानलेवा संक्रमण नहीं है। इसे ‘पिंक आई’ इन्फेक्शन भी कहा जाता है। यह बीमारी आई कॉन्टैक्ट से फैलती है।
आई फ्लू के लक्षण
आंखें लाल होना। जलन होना। पलकों पर पीला और चिपचिपा तरल जमा होना। आंखों में कंकड़ की तरह चुभन होना और सूजन आना। आंखों में खुजली होना और लगातार पानी आना।
बचाव के उपाय
संक्रमित व्यक्ति से हाथ न मिलाएं और ना ही उनकी वस्तुओं को छुएं। अपनी आखों को समय-समय पर ठंडे पानी से धोएं। समय पर हाथों की सफाई करें। आंखों को बार-बार ना छुएं। अपने आसपास सफाई रखें। संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने और भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें। बाहर जाने पर काला चश्मा पहनें। खास तौर पर पीड़ित व्यक्ति से आई कान्टेक्ट बनाने से बचें।