क्या है डाटा प्रोटेक्शन बिल? जानिए कैसे रखेगा आपके पर्सनल डेटा की सुरक्षा
ऑनलाइन के इस युग में हर कोई सोशल मीडिया एप, प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करता है और इसी चक्कर में कई बार बड़ी ठंगी का शिकार हो जाते है। इसकी सबसे बड़ी वजह है आपका पर्सनल डेटा सुरक्षित नहीं है। इसी तहत संसद सत्र में डाटा डिजिटल पर्सन डाटा प्रोटेक्शन बिल (DPDP) पेश किया गया है। इस बिल का उद्देश्य डाटा एकत्रित करना और यूजर्स के अधिकारों और संस्थाओं की जिम्मेदारियों को भी तक करना है। यह बिल व्यक्तियों के गोपनीयता अधिकारों को भी सुरक्षा करता है। केंद्र सरकार का मकसद है कि गोपनीयता अधिकार के साथ नागरिकों के डाटा के संबंध में इंटरनेट कंपनियों, मोबाइल एप और कई प्रकार के डिजिटल व्यसायियों की जवाबदेही बढ़ाई जाए।
जानिए क्या है डाटा प्रोटेक्शन बिल, डाटा फिडुशियरी
बता दें कि डाटा प्रोटेक्शन बिल डिजिटल सिटीजन के कांसेप्ट पर काम करने वाला है। यह नागरिकों के अधिकारों के साथ ही कर्तव्यों पर भी जोर देने वाला है। यह बिल दूसरे न्यायलयों भी डाटा अवधारणा करने वाले कानूनों का आधार बन सकता है। डाटा की वैधता, निष्पक्षता, पारदर्शिता, डाटा एक्यूरेसी, गोपनीयता और प्राइवेसी जैसे तथ्य शामिल किए गए हैं।
इस बिल में डाटा फिडुशियरी का भी इस्तेमाल किया गया है। यह उनको निशाना बनाता है, जो यह तय करते हैं कि पर्सनल डाटा को कैसे उपयोग किया जाए। इस बिल के तहत सेवा प्रदान करने वाले, रिसर्च करने और व्यापार के लिए डाटा इकट्ठा करने वाले संस्थाओं को जिम्मेदार बनाया गया है। इसका मतलब है कि यह किसी भी व्यक्ति का डाटा उपयोग करने के लिए पर्सनल सहमति जरूरी होगी। जैसे मोबाइल कंपनियां, बैंकिंग विभाग और अन्य प्रकार के बिजनेस फोन कॉल्स या मैसेज के लिए बिना यूजर की सहमति के बिना डाटा कलेक्ट नहीं किया जा कसता है।
पर्सनल डाटा की गोपीयता की सुरक्षा ऐसे होगी
डाटा डिजिटल पर्सन डाटा प्रोटेक्शन बिल में पर्सनल डाटा और गोपनीयता की सुरक्षा के लिए डाटा फिड्यूशियरी पर जिम्मेदारी तय करता है। मतलब इसके लिए किसी के भी डाटा का यूज करने से पहले यूजर से संपर्क करना जरूरी है। बिना सूचना के किसी का पर्सनल डाटा नहीं लिया जा सकता है। कोई भी अन्य व्यक्ति डाटा का दुरपयोग नहीं कर सकता है, इसके लिए जरूरी है कि पहले यूजर को इंफार्म किया जाए।