अनोखी केमिस्ट्री में छिपा रहस्य, आईने जैसा चमकदार बन गया यह ग्रह
लंदन। वैज्ञानिकों ने एक यूरोपीय स्पेस एजेंसी के बाह्यग्रह अभियान चियोप्स के आंकड़ों का अध्ययन कर ऐसे ग्रह का पता लगाया है जो अपने तारे से मिलने वाली दो तिहाई से भी ज्यादा रोशनी को प्रतिबिम्बित कर रहा है। यह अब तक के अवलोकित ग्रहों में से सबसे चमकीला बाह्यग्रह है। एक गर्म नेप्च्यून की श्रेणी वाले इस बाह्यग्रह के बारे में एक और अजीब सी बात यह है कि यह अपने तारे के बहुत करीब है। एलटीटी9779बी नाम के यह ग्रह सबसे पहले नासा के टेस अभियान और चिली में हार्प्स उपकरण के जरिए 2020 में खोजा गया था।
यह खबर भी पढ़ें:-कैसे पूरी तरह से बदल गई धरती…मानव का इतिहास बताती क्रॉफोर्ड झील
शुक्र ग्रह की तरह है इसकी चमक
चियोप्स के आंकड़ों से पता चला कि यह इस ग्रह के धातु के बादलों की वजह से प्रकाश प्रतिबिम्बित होने से बहुत ही चमकीला दिखाई देता है। इसकी चमक शुक्र ग्रह की चमक जैसी है, जो हमारे आकाश में चंद्रमा के बाद दूसरा सबसे चमकीला खगोलीय पिंड है। चियोप्स के नतीजे इस बाह्यग्रह की खोज के बाद फॉलोअप अवलोकनों से हासिल किए जा सके। इस बाह्यग्रह का आकार हमारे नेप्च्यून ग्रह के बराबर है।
यह खबर भी पढ़ें:-US ने प्रस्ताव पास कर चीन को दिया बड़ा झटका…भारत का ही है अरुणाचल
वायुमंडल में धातु के बादल
इस बाह्यग्रह की चमक की वजह इसका अपने तारे से आने वाली रोशनी का 80 फीसद प्रतिबिम्बित करना है और इसकी वजह यहां के धातु के बादलों का आवरण है, जो मुख्य रूप से सिलिकेट से बना हुआ है। सिलिकेट वही पदार है, जो हमारी पृथ्वी पर रेत में बहुतायत में होता है और जिससे ग्लास बनते हैं। इस ग्रह की त्रिज्या पृथ्वी से 4.7 गुना ज्यादा बड़ी है और इसका एक साल 19 घंटे का है यानी यह अपने तारे का एक चक्कर के वल 19 घंटे में लगा लेता है।