ERCP को लेकर राजस्थान-मध्यप्रदेश के बीच MOU साइन, दिल्ली में केंद्रीय मंत्री की मौजूदगी में पानी के बंटवारे पर बनी सहमति
MP Rajasthan ERCP Issue: राजस्थान में रहने वालों लोगों के लिए अच्छी खबर है। पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) प्रोजेक्ट में पानी के बंटवारे को लेकर राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच समझौता हो गया। दिल्ली में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की मौजूदगी में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और मध्यप्रदेश के सीएम डॉ. मोहन यादव ने एमओयू साइन किया। रविवार शाम करीब साढ़े सात बजे दोनों सरकारों के बीच सहमति बनी। इससे पूर्व दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच जयपुर में इस प्रोजेक्ट को लेकर वार्ता हुई। इसके बाद दिल्ली में अधिकारिक एमओयू पर सहमति बनी।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने क्या कहा…
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने एक प्रेसवार्ता में कहा कि एमपी में हमारी सरकार बनी, लेकिन राजस्थान सरकार ने ध्यान नहीं दिया। अब मुझे इस बात का संतोष है कि जैसे ही राजस्थान सरकार बनी इस मुद्दे पर काम शुरू हुआ। मध्य प्रदेश सरकार तो पहले से उस मुद्दे को ले रही थी। इस योजना के पूरा होने से शिवपुरी, ग्वालियर, भिंड, मुरैना, इंदौर, देवास, सहित कई जिलों में न केवल पेयजल बल्कि औद्योगिक जरूरत को पूरा करेगी। इसमें 7 डेम बनेंगे। अभी कुछ इशू बाकी हैं। अधिकारी लेवल पर चर्चा जारी है।
मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने किया कहा…
सीएम भजन लाल शर्मा ने कहा कि हमारी जब से सरकार बनी तब से लगातार बातचीत चल रही थी। यह राजस्थान और मध्य प्रदेश के लिए महत्वपूर्ण योजना है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का नदी से नदी जोड़ने का जो सपना था। उसमें मध्य प्रदेश और राजस्थान आ रहा था। अटल जी के समय नींव रखी गई। लेकिन, उसके बाद कांग्रेस की सरकार आ गई। 2013 में जब सरकार आई हमने फिर इस पर काम किया। इसकी डीपीआर बनाने का काम भी हुआ। इसके बाद दोनों जगह अलग-अलग पार्टियों की सरकार बनी।
क्या है ईआरसीपी परियोजना?
ईआरसीपी योजना राजस्थान की लाइफ लाइन है। इस योजना से राजस्थान के 13 जिलों में रहने वाले लोगों की प्यास बुझाई जा सकती है। इसके अलावार 13 जिलों में 26 विभिन्न बड़ी व मध्यम परियोजनाओं के जरिये 2.8 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई के लिए जल उपलब्ध कराया जाएगा। इस योजना के शुरू होने से झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, करौली, अलवर, भरतपुर, दौसा और धौलपुर जिलों के लोगों को काफी फायदा होगा।
वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली तत्कालीन बीजेपी सरकार ने साल 2017 में ईआरसीपी पर काम शुरू किया था, तब 37,237 करोड़ रुपए की लागत का अनुमान था। कांग्रेस राज में ईआरसीपी पर करीब 1600 करोड़ खर्च किए जा चुके हैं। लेकिन, देरी के चलते ईआरसीपी की लागत अब 45,000 करोड़ तक पहुंच गई है।