ग्लोबल वॉर्मिंग से लड़ने का अनोखा उपाय, चांद की धूल से ठंडी की जाएगी धरती
वॉशिंगटन। ग्लोबल वार्मिंग एक ऐसा मुद्दा है, जो दुनिया के हर देश को प्रभावित कर रहा है। वैज्ञानिक इसका हल निकालने में लगे हैं। अमेरिकी वैज्ञानिकों के एक समूह ने अंतरिक्ष में बादल के जरिए ग्लोबल वॉर्मिंग को सुलझाने का एक नया प्रस्ताव दिया है। उनका कहना है कि चांद की धूल से अंतरिक्ष में बादल बनाना चाहिए जो सूर्य की किरणों को धरती पर आने के रास्ते में बाधा बने। जब सूर्य का ज्यादातर प्रकाश नहीं आएगा तो धरती ठंडी होने लगेगी। इस अजीबोगरीब योजना के मुताबिक चांद पर खनन कर धूल को सूर्य की ओर उछाल देंगे।
एरोसोल पद्धति में कई खामियां
धूल करीब 2 सप्ताह सूर्य व पृथ्वी के बीच रहेगी और सूर्य का प्रकाश मंद हो जाएगा, जिसके बाद यह फैल जाएगा। इस प्लान को सफल बनाने के लिए चांद की एक करोड़ टन धूल की हर साल जरूरत होगी। वैसे, इसके लिए सबसे चर्चित विधि है कि धरती के चारों ओर एरोसोल के कणों की एक पतली परत को पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल में छोड़ दिया जाए। हालांकि इससे बारिश और सूखे का पैटर्न बदल सकता है। ओजोन लेयर भी नष्ट हो सकती है।
चंद्रमा की मिट्टी ही क्यों!
अंतरिक्ष में एक विशाल दर्पण या सैटेलाइटों के झुंड से प्रकाश को आने से रोकने का सुझाव दिया जाता रहा है, लेकिन चांद की धूल इन दोनों ही विचारों से अच्छा माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि चांद पर धूल की कोई कमी नहीं है। साथ ही, चंद्रमा के निचले गुरुत्वाकर्षण से धूल के बादलों को लॉन्च करना पृथ्वी से होने वाले लॉन्च से सस्ता होगा।