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क्या सच में पिछले जन्म की याद दिलाती है ‘पास्ट लाइफ रिग्रेशन थैरेपी’, जाने कैसे काम करती है ये थैरेपी

03:55 PM Jul 15, 2023 IST | Prasidhi

आज के दौर में हम सब देख रहे हैं कि, साइंस में खूब तरक्की कर ली है। लेकिन फिर भी कई चीजे हैं जिनका पता अभी तक साइंस भी नहीं लगा पाया है। इन्हीं में से एक है दिमाग, ये एक ऐसी चीज है जिसके बारे में विज्ञान भी ठीक से समझ नहीं पाया है। लेकिन लोगों का मानना यही है कि, दिमाग पर नियंत्रण करने के लिए कोई तरीका मौजूद है, तो वह ध्यान और प्राणायाम ही है। इसी का एक हिस्सा ‘पास्ट लाइफ रिग्रेशन थैरेपी’ भी किसी के दिमाग पर काबू पाने का एक तरीका है। हालांकि इसे ज्यादातर जगहों पर अंधविश्वास के तौर पर देखा जाता है। लेकिन कई लोगों का मानना है कि, इस प्रसेस से हम बीते कल की यादो को वापस याद दिलाने का वो जरिया है, जिसके माध्यम से हम अपने आज को बदल सकते है। तो चलिए जानते हैं कि क्या है ‘पास्ट लाइफ रिग्रेशन थैरेपी’।

क्या है है ‘पास्ट लाइफ रिग्रेशन थैरेपी’

पास्ट लाइफ रीजनरेशन थेरेपी (Past Life Regression Therapy) एक मनोचिकित्सा प्रणाली है जिसका उपयोग व्यक्ति को उनकी पिछली जन्मों की स्मृति और अनुभवों को फिर से जानने और समझने में किया जाता है। इस थेरेपी के माध्यम से, एक व्यक्ति को गहरी ध्यानावस्था में ले जाया जाता है, जहां वे अपने पिछले जीवनों की स्मृतियों को पुनर्जीवित कर सकते हैं।

पास्ट लाइफ रीजनरेशन थेरेपी का मूल उद्देश्य व्यक्ति के मन के गहरे स्तरों तक पहुंचकर उनके अनचाहे भाव, भ्रम, या संबंधित समस्याओं के पीछे छिपे हुए कारणों को पहचानना होता है। यह माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति अपने पिछले जन्मों के दुःखभरे अनुभवों या उनके कारणों को समझ और स्वीकार कर लेता है, तो उनकी मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थता में सुधार हो सकती है।

कैसे काम करती है पास्ट लाइफ रीजनरेशन थेरेपी

पास्ट लाइफ रीजनरेशन थेरेपी में एक प्रशिक्षित थेरेपिस्ट व्यक्ति को एक ट्रांस या ध्यान स्थिति में ले जाता है, जहां वे अपने पिछले जन्मों की स्मृतियों को याद करते हैं। वे अपने देहांत के पश्चात अन्य जीवों में जन्म लेने और विभिन्न जीवनी संघटनाओं को अनुभव करने के अनुभव को भी देख सकते हैं।

पास्ट लाइफ रीजनरेशन थेरेपी को मान्यता देने वालों का मानना है कि इसके माध्यम से व्यक्ति को उनके अनसुलझे मसले, भय, फोबियां, रोग या संबंधित संकटों के समाधान के लिए मदद मिल सकती है। हालांकि, इस थेरेपी की वैज्ञानिकता और वैधता पर अभी भी विवाद है और इसे आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त नहीं है।

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