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लगभग मर चुके 1 साल के बच्चे की जेएलएन अस्पताल के डॉक्टर्स ने बचाई जान..दिल की धड़कन तक थम चुकी थी

11:15 AM Jan 05, 2023 IST | Jyoti sharma

अजमेर। शहर के JLN अस्पताल के डॉक्टर्स लगभग मर चुके 1 साल के बच्चे की जान मौत के के मुंह से खींच लाए। डॉक्टर्स के अथक प्रयासों ने बच्चे की थम चुकी धड़कनों को फिर से धड़का दिया। अब इस बच्चे ने लगभग 3 महीने बाद सुनहरा सवेरा देखा है। लेकिन ये सब कैसे हुआ उसकी पूरी जानकारी हम दे रहे हैं।

म्यूकस प्लग नामक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित था बच्चा

चिकित्सालय अधीक्षक डॉ. नीरज गुप्ता ने बताया कि चिकित्सालय के शिशु रोग विभाग के आपातकालीन परिसर में एक बच्चे कार्तिक जिसकी उम्र 1 साल है, उसे सांस लेने में तकलीफ थी। जिसके लिए उसे अस्पताल में भर्ती कराया था। बच्चे की गंभीर हालात को देखते हुए उसे गहन चिकित्सा इकाई में शिफ्ट किया गया। बच्चे को सांस में तकलीफ के चलते ऑक्सीजन का लेवल 40 प्रतिशत ही रह गया। बच्चें की दिल की धड़कन भी कम हो गयी। इसके कारण बच्चे को तुरन्त सांस की मशीन वेन्टीलेटर पर लिया गया। बच्चे में सबसे पहले फॉरेन बॉडी एस्पीरेशन बीमारी का अनुमान लगाया गया।

दो बार बंद हो चुकी थी धड़कन

जिसके बाद अस्पताल के नाक, कान, गला रोग विभाग से सामंजस्य स्थापित करते हुये बच्चे की तुरन्त रिजीड ब्रोकोस्कोपी करवायी गई। जांच करवाने पर बच्चे में म्यूकस प्लग नामक दुर्लभ बीमारी पायी गई। वेन्टीलेटर पर भी बच्चे का बीच-बीच में ऑक्सीजन का लेवल काफी कम हो जाता था। यहां तक कि दो बार बच्चे की धड़कन भी बंद हो गई थी। CPR देकर धड़कन को फिर से शुरू किया गया। लगभग 20 दिन बाद बच्चे को सांस की मशीन से हटाने में बार-बार विफल होने के बाद डॉक्टर्स की टीम ने ट्रेकोस्टॉमी करवाने का फैसला लिया। शुरुआत में ट्रेकोस्टॉमी द्वारा भी सांस की मशीन से ही सांस दिया गया। बाद में धीरे-धीरे ऑक्सीजन कम करके बच्चे को सामान्य वातावरण में रखा गया।

3 महीने बाद बच्चे को अस्पताल से किया गया डिस्चार्ज

अब बच्चा पूरी तरह ठीक है। बच्चे को 3 महीने के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज  किया गया। बता दें कि बच्चे के इलाज में शिशु रोग विभाग से डॉ. अनिल जैन, वरि. आचार्य एवं विभागाध्यक्ष डॉ. पुखराज गर्ग, वरि आचार्य, डॉ. जयप्रकाश नारायण समेत कई डॉक्टर्स की टीम और नर्सिंग स्टाफ शामिल रहा। साथ ही चिकित्सालय के ईएनटी रोग विभाग से डॉ. दिग्विजय एवं विभागाध्यक्ष, डॉ. योगेश आसेरी एवं रेजीडेंट चिकित्सक टीम का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा।

(रिपोर्ट- नवीन वैष्णव)

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