For the best experience, open
https://m.sachbedhadak.com
on your mobile browser.

शिवरात्रि स्पेशल: बैद्यनाथ धाम-यहां शिव और शक्ति दोनों स्थापित हैं,मनोकामना पूरी करने वाला है यह पावन ज्योर्तिलिंग

भारत देश को देवभूमि कहा जाता है। सनातन धर्म को मानने वालों के लिए यहां के हर प्रदेश,शहर ,गांव सभी जगहों पर धार्मिक मान्यता स्वरूप, मंदिर हैं। इनका पौराणिक के साथ आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व भी है।
04:37 PM Feb 08, 2023 IST | BHUP SINGH
शिवरात्रि स्पेशल  बैद्यनाथ धाम यहां शिव और शक्ति दोनों स्थापित हैं मनोकामना पूरी करने वाला है यह पावन ज्योर्तिलिंग

भारत देश को देवभूमि कहा जाता है। सनातन धर्म को मानने वालों के लिए यहां के हर प्रदेश,शहर ,गांव सभी जगहों पर धार्मिक मान्यता स्वरूप, मंदिर हैं। इनका पौराणिक के साथ आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व भी है। देश में चार धाम हैं तो 55 शक्तिपीठ भी हैं जहां मां शक्ति की पूजा और दर्शन किए जाते हैं। । वहीं बारह ज्योर्तिलिंग में भगवान शिव की आराधना का विधान है। बारह ज्योर्तिलिंग में से एक बैद्यनाथ या वैद्यनाथ धाम भी है।

Advertisement

यह खबर भी पढ़ें:-शिवरात्रि स्पेशल : उत्तरी हिमालय में स्थित है केदारनाथ धाम, अप्रैल से नवंबर में खुलते है पट

देश के झारखंड राज्य के देवघर में स्थित है बैद्यनाथ धाम। इसे सिद्धपीठ माना जाता है। बैद्यनाथ धाम स्थित ज्योर्तिलिंग को कामना लिंग भी कहा जाता है। यह माना जाता है कि यहां शक्तिपीठ भी है इसलिए यह एक ही अद्भूत ज्योर्तिलिंग धाम है जहां शिव -शक्ति दोनों साथ में स्थित है।

मां शक्ति का ह्दय गिरा था यहां

पौराणिक मान्यता के अनुसार दक्ष प्रजापति अश्वमेध यज्ञ कर रहे थे तब उन्होंने भगवान शिव को न्यौता नहीं भेजा था। सती के कहने पर भोलेनाथ यज्ञ स्थल पर पहुंचे तो दक्ष प्रजापति ने उनका अपमान किया और उपहास उड़ाया। सती को इस बात की भनक लगी तो उन्हें बहुत आघात लगा। शिव के इस अपमान से आहत होकर ,सती ने वेदी कुंड में छलांग लगा दी और आत्मदाह कर लिया। यह देखकर शिव बहुत क्रोधित हो गये और सती के शव को लेकर तांडव करने लगे। इस दौरान सती के अंग जगह-जगह गिरे और जहां -जहां ये अंग गिरे,उन जगहों को बाद के समय में शक्तिपीठ के रुप में पूजा गया ।बैद्यनाथ धाम में मां सती का ह्रदय गिरा था। इसलिए इसे शक्तिपीठ भी कहा जाता है।

ज्योर्तिलिंग की कथा

इस लिंग की स्थापना की कथा यह है कि एक बार राक्षसराज रावण भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए हिमालय पर जाकर घोर तपस्या करना शुरु कर दिया। उसने वहां शिवलिंग पर अपने सिर एक-एक कर चढ़ाने लगा । नौ सिर चढ़ाने के बाद दसवां सिर चढ़ाने लगा तो भगवान महादेव प्रकट हो गये और उसे दसवां सिर चढा़ने से रोक दिया। उसकी भक्ति और तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान भोलेनाथ ने उसे वर मांगने को कहा। रावण ने कहा मैं यह शिवलिंग लंका ले जाना चाहता हूं। इस पर भगवान ने उसे आज्ञा दे दी लेकिन साथ ही यह कहा की मार्ग में अगर तुमने इसे जमीन पर रख दिया तों मैं वहीं स्थिर हो जाऊंगा।

लंका नरेश ने बात मान ली और शिवलिंग लेकर चल पडा। मार्ग में एक जगह उसे लघुशंका आई तो उसने एक व्यक्ति को शिवलिंग दिया और कहा इसे पकड़ों ,मैं अभी आता हूं। लेकिन रावण बहुत देर तक नहीं आया तो उस व्यक्ति ने शिवलिंग को जमीन पर रख दिया। रावण आया तो शिवलिंग को उठाने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हो पाया। निराशा में वह अपना अंगूठा शिवलिंग पर गाड़ कर चला गया। उसके बाद ब्रह्मा ,विष्णु आदि देवी-देवताओं ने शिवलिंग की वहीं स्थापना कर दी। इसके बाद शिव-स्तुति करते हुए देवलोक चले गये।

यह खबर भी पढ़ें:-गणेश चालीसा के पाठ से करें कष्टों का निवारण,मिलती है रिद्धि-सिद्धि

मनोकामना पूर्ति करते बैद्यनाथ

बैद्यनाथ धाम को मनोवांछित फल देने वाला माना जाता है। यह माना जाता है कि यह ज्योर्तिलिंग यहां आने वाले भक्तों की मनोकामना पूरी करता है। वैसे तो यहां सालभर भक्तों का मेला लगा रहता है। लेकिन सावन के पूरे महिने में यहां कावड़ियों और शिवभक्तों का जमावड़ा रहता है। इसके शीर्ष पर पंचशूल लगा है । इसे सुरक्षा कवच माना जाता है। यह आने वाले भक्तों के कष्ट दूर करता है । शिवरात्रि के दिन पंचशूल को उतार कर इसकी पूजा की जाती ह्रै।

सुल्तानगंज से लाते हैं गंगा जल

शिवरात्रि और सावन माह में शिव भक्त भागलपुर के सुल्तानगंज में बहने वाली उत्तरवाहिनी गंगा से जल लेकर ,105 किमी दूर देवघर तक पैदल लेकर आते हैं । यहां ये जल बैद्यनाथ को अर्पित करते हैं। पुराणों के अनुसार सर्वप्रथम श्रीराम ने सुल्तानगंज से जल लेकर देवघर तक यात्रा की थी ।तभी से ये परंपरा चली आ रही है।

यह खबर भी पढ़ें:-शुक्र का राशि परिवर्तन 15 फरवरी को, मालव्य योग बनायेगा मालामाल, विदेश यात्रा के हैं योग

कब जाएं

देवघर स्थित बैद्यनाथ धाम वर्ष भर में कभी भी जा सकते हैं।

कैसे जाएं

झारखंड का देवघर देश के सभी शहरों से सड़क मार्ग ,रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है। बीते हुए साल में यहां पर एयरपोर्ट भी शुरु हो गया है। अब हवाई मार्ग से भी यहां आया जा सकता है।

.