धनतेरस की पूजा में इन 5 बातों का रखें विशेष ध्यान, माता लक्ष्मी होंगी खुश, पैसे की नहीं रहेगी कोई कमी!
Dhanteras Puja Vidhi: दिवाली से पहले प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस का त्योहार आता है। धनतेरस का त्योहार बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन देवताओं के वैद्य कहे जाने वाले भगवान धनवंतरी समुद्र मंथन में अमृत कलश लेकर बाहर निकले थे। इसलिए इस दिन हर व्यक्ति सोना, चांदी, हीरा, विभिन्न धातुओं के बर्तन, कपड़े, वाहन और जमीन सहित अन्य वस्तुओं की खरीदारी करने में विश्वास रखता है।
कहते हैं धनतेरस को खरीदारी करने और विधि विधान से पूजा पाठ करने से पूरे साल माता लक्ष्मी और धनकुबेर की कृपा दृष्टी बनी रहती है। धनतेरस और दिवाली के दिन पूजा पूरे विधि विधान से करनी चाहिए इसमें किसी तरह की चूक नहीं होनी चाहिए। कहते हैं विधिपूर्वक पूजा करने से उत्तम और विशेष फल लाभ प्राप्त होता है। तो ऐसे में आइए जानते हैं धनतेरस के दिन कैसे पूजा कर मन चाहा लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
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इन 5 बातों का रखें खास ध्यान
धनतेरस से पहले घर की साफ-सफाई कर लें
धनतेरस के एक दिन पहले ही अपने घर की पूरी साफ सफाई अच्छे से कर लें, ताकि धनतेरस के दिन आप का पूरा घर साफ सुथरा रहे।
भगवान धनवंतरी की पूजा जरूर करें
अधिकतर लोग धन तेरस के दिन माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करते हैं, लेकिन भगवान धनवंतरी का पूजन भूल जाते हैं ऐसे में पूजा अधूरी रह जाती है और हमें पूर्ण लाभ नहीं पाता है। इसलिए धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी की पूजा करना ना भूलें।
धनतेरस को ही ले लें दिवाली की पूजा सामग्री
धनतेरस पर खरीदारी करने का विशेष महत्व है इसलिए इसी दिन दिवाली की पूजन सामग्री खरीद लें। खासतोर पर माता लक्ष्मी और भगवान श्रीगणेश की मूर्ति।
धनतेरस को जरूर खरीदे ये धातु
धनतेरस के दिन धातुओं को खरीदने का विशेष महत्व है। इसलिए इस दिन सोना, चांदी, हीरा, पीतल, कांस्य, स्टील की खरीदारी करें, लेकिन लोहा खरीदने से परहेज रखना चाहिए।
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दान अवश्य करें
धनतेरस के दिन दान का बहुत महत्व है। दरअसल, दान करने से लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। घर में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है। इसलिए इस दिन दान अवश्य करें।
धनतेरस पूजन का सही समय
धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी ओर भगवान कुबेर की पूजा की जाती है। भगवान कुबेर का पूजन का सब से उत्तम काल प्रदोष काल होता है। इसलिए इस बार की पूजा 10 नवंबर को शाम को 5 बजकर 30 मिनट से शुरू हो जाएगी, जिसका अंतिम मुर्हूत रात 8 बजकर 7 मिनट होगा। इस प्रकार 10 नवंबर को ही पूर्ण धनतेरस माना जाएगा, क्योंकि प्रदोष काल 11 नवंबर को है ही नहीं। ऐसे में खरीदी की वस्तुओं की पेजा का उत्तम मुर्हूत प्रदोष काल में नहीं हो पाएगा।