हजयात्रा में खत्म हुआ वीआईपी कोटा, मुस्लिम धर्मगुरुओं ने फैसले का किया स्वागत
लखनऊ। हज यात्रा को लेकर बड़ी खबर सामने आयी है। बता दें कि हज यात्रा में वीआईपी कोटा खत्म कर दिया गया है। इसको लेकर केंद्र सरकार के इस फैसले की मुस्लिम धर्मगुरुओं ने इसकी सराहना की। उन्होंने कहा कि “इससे हज यात्रियों के बीच भेदभाव समाप्त होगा, क्योंकि अल्लाह के लिए सभी एक समान है।”
बता दें कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्री स्मृति ईरानी ने पिछले सप्ताह जानकारी दी थी। उन्होंने बताया था कि केंद्र सरकार ने हज में वीआईपी कोटा खत्म करने का फैसला किया है। जिससे कि देश के आम लोगों को फायदा हो और इस धार्मिक यात्रा में वीआईपी संस्कृति खत्म हो।
जल्दी शुरू होगा यात्रा के लिए पंजीकरण
आपको बता दें कि हज यात्रा के लिए पंजीकरण सेवा अगले कुछ ही दिनों में शुरू हो जाएगी। वहीं उत्तर प्रदेश हज कमेटी के अध्यक्ष मोहसिन रजा ने इस फैसले का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि यह वाकई एक स्वागत योग्य कदम है। रजा ने कहा कि इस्लाम में ‘वीआईपी संस्कृति’ के लिए अलग से कोई जगह नहीं है। अल्लाह के दरबार में हर कोई बराबर है।
भारत में हज यात्रियों की संख्या
भारत से हज यात्रा पर जाने वाले यात्रियों की संख्या 1 लाख 75 हजार 25 है। इनमें लगभग 31 हजार यात्री उत्तर प्रदेश से हैं। वहीं पिछले साल उत्तर प्रदेश से लगभग 8,700 तीर्थयात्री हज यात्रा पर गए थे।
केंद्र के फैसले को मिला समर्थन
केंद्र के इस फैसले का लखनऊ ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने समर्थन किया। उन्होंने इस फैसले को सकारात्मक करार दिया। महली ने कहा कि इस फैसले के बाद भेदभाव खत्म होगा और हज यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी होगी। वहीं ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव और प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि, ‘‘हम केंद्र के इस कदम का स्वागत करते हैं, क्योंकि इससे गरीब मुसलमानों की हज यात्रा के लिए रास्ता खुलेगा।’’
कैसे काम करता था वीआईपी कोटा
देश के सभी बड़े व दिग्गज मंत्रियों के पास वीआईपी कोटे के तहत हजयात्रियों का कोटा होता था। इसके तहत राष्ट्रपति के पास 100 हजयात्रियों का कोटा होता था। वहीं प्रधानमंत्री के पास 75, उप राष्ट्रपति के पास 75 और अल्पसंख्यक कार्य मंत्री के पास 50 का कोटा होता था। इसके अलावा हज कमेटी के सदस्यों या पदाधिकारियों के पास भी 200 हजयात्रियों का कोटा होता था।