होमइंडिया
राज्य | राजस्थानमध्यप्रदेशदिल्लीउत्तराखंडउत्तरप्रदेश
मनोरंजनटेक्नोलॉजीस्पोर्ट्स
बिज़नेस | पर्सनल फाइनेंसक्रिप्टोकरेंसीबिज़नेस आईडियाशेयर मार्केट
लाइफस्टाइलहेल्थकरियरवायरलधर्मदुनियाshorts

साइबर क्राइम: 4 साल… 6620 मामले, सजा मिली सिर्फ 10 में

देश में तेजी से बढ़ते साइबर अपराध से राजस्थान भी छूता नहीं है।
08:44 AM Feb 09, 2023 IST | Anil Prajapat

जयपुर। देश में तेजी से बढ़ते साइबर अपराध से राजस्थान भी छूता नहीं है। प्रदेश में पिछले चार साल में 6620 प्रकरण दर्ज किए गए हैं, लेकिन इससे भी ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि दर्ज प्रकरणों में केवल दस मामलों में ही सजा हो सकी। यानी साइबर जुर्म के अपराधी कानून पहुंच से दूर हैं। अपराधों के इस मकड़जाल का तोड़ पुलिस के पास भी नहीं है, क्योंकि पुलिस में ऐसे मामलों की जांच के लिए सबसे जरूरी तकनीकी ज्ञान और साइबर एक्सपर्ट का अभाव है।

तेजी से बढ़ते ऑनलाइन कामकाज, आम नागरिकों समेत पुलिस तक में जागरूकता और तकनीक की जानकारी के अभाव, छिपी हुई यूजर पालिसी, साइबर क्राइम मामले में जांच की मुश्किलें और डाटा सुरक्षा कानून नहीं होने के चलते डिजिटल अपराध में वृद्धि हो रही है।

3949 मामलों में लाचार दिखा कानून

प्रदेश में पिछले चार साल में दर्ज साइबर अपराधों में से 3949 मामलों में कानून लाचार नजर आया। ये ऐसे मामले थे जिनकी तह तक पुलिस पहुंच ही नहीं सकी। इन अपराधों को या तो विदेश में बैठ कर अंजाम दिया जा रहा था या फिर ऐसे साइबर एक्सपर्ट इस काम को कर रहे थे, जिनका तोड़ पुलिस के पास नहीं था। पुलिस के सामने मुश्किल यह है कि डाटा चुराने वाला किसी दूसरे देश में बैठा ऐसा क्राइम करता है। यहां पुलिस के जो सामने आता है, उनमें आईटी कंपनियां होती हैं। उन पर कार्रवाई करने से कु छ भी हाथ नहीं लगता है, क्योंकि वे अपने बचाव के सारे तकनीकी इंतजाम के साथ सेवाएं देती हैं।

साइबर एक्सपर्ट कहते हैं इसमें साक्ष्य अदृश्य

साइबर एक्सपर्ट और पूर्व आईपीएस अधिकारी सीबी शर्मा बताते हैं कि ऐसे अपराधों में साक्ष्य अदृश्य होते है। पुलिस मामले में चालान पेश भी कर देती है तो भी साक्ष्य पेश नहीं कर पाती। इस मामले में जांच की अलग विधा होती है। कानूनी और तकनीकी प्रक्रिया का ज्ञान होने पर ही ऐसे मामले खोले जा सकते हे। ऐसे एक्सपर्ट तैयार करने पड़ेंगे।

एटीएस, एसओजी भी फेल

ऐसे बड़े मामले में प्रदेश की सबसे तेजतर्रार जांच एजेंसियां एटीएस और एसओजी भी फेल नजर आती हैं। पिछले चार साल में इन जांच एजेंसियों के पास दर्ज 23 मामलों में जांच पूरी नहीं हो सकी। इन जांच एजेंसियों के पास दर्ज तीन प्रकरण तो ऐसे रहे जिसमें एक भी गिरफ्तारी नहीं हो सकी।

आशंकाएं भी खड़ी हैं फन फैलाए

साइबर अपराधियों का प्रदेश में शिकार करने का दायरा लगातार बढ़ रहा है। इंटरनेट और टेक्नोलॉजी से लैस नई डिजिटल दनिु या में अनचाहे काल, अनजाना मैसेज, अवांछित ईमेल और अपिरिचत की फ्रेंडशिप रिक्वेस्ट लोगों को डराने लगी हैं। ऐसे ही अनर्गल मीम्स, अननेचुरल पिक्चर, वीडियो, लॉटरी, बिजनेस गेम, डिस्काउंट लिंक, ऑफर वाले तमाम एप और गैर जरूरी बैंकिंग इनफॉर्मेशन के जाल में लोग आसानी से फं साए जा रहे हैं, जबकि ऑनलाइन कामकाज दिनों-दिन मुश्किल होता जा रहा है।

रिपोर्टर- पंकज सोनी

Next Article