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कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने PM मोदी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का दिया नोटिस, 'नेहरू सरनेम से क्या शर्मिंदगी' बयान पर जताई आपत्ति

01:32 PM Mar 17, 2023 IST | Jyoti sharma

कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव पेश किया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद भाषण में दिए गए बयान का जिक्र किया है। जिसमें उन्होंने कहा था कि सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) नेहरू सरनेम का उपयोग क्यों नहीं करते, नेहरू सरनेम लगाने में क्या शर्मिंदगी है। इस बयान को सोनिया राहुल के खिलाफ अपमानजनक करार देते हुए केसी वेणुगोपाल ने राज्यसभा चेयरमैन को एक लेटर लिखा है।

इस पत्र में केसी वेणुगोपाल लिखा है कि मैं 9 फरवरी को प्रधानमंत्री के राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान दिए गए उस बयान के लिए प्रधानमंत्री को विशेषाधिकार हनन का नोटिस देता हूं, जिसमें उन्होंने कहा था कि नेहरू सरनेम रखने में क्या शर्मिंदगी है। उन्होंने लिखा कि मोदी ने कहा था कि ‘मुझे बहुत आश्चर्य होता है कि चलो भाई नेहरु जी नाम हमसे कभी कभी छूट जाता है और अगर चलो छूट भी जाता है तो हम याद कर लेते हैं लेकिन मुझे समझ में नहीं आता है कि नेहरू जी की नई पीढ़ी अपने नाम के आगे उनका सरनेम लगाने में शर्मिंदगी क्यों महसूस करती है। इतना बड़ा महान व्यक्ति क्या आपको मंजूर नहीं है। गांधी परिवार को मंजूर नहीं है’।

गांधी परिवार के लिए अपमानजनक है यह बयान

केसी वेणुगोपाल ने पत्र में लिखा कि प्रधानमंत्री का यह बयान सांसद के लिए अपमानजनक है। यह नेहरू गांधी के परिवार और भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के लिए भी अपमानजनक है, सोनिया गांधी और राहुल गांधी लोकसभा के सदस्य हैं इस बयान ने उनकी मानहानि की है। इसलिए मैं राज्यसभा के नियम और कार्य संचालन के प्रक्रियाओं के तहत देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस देता हूं।

संसद के दोनों सदन की कार्यवाही सोमवार सुबह 11 बजे तक स्थगित

बता दें कि भारी हंगामे के चलते आज संसद के दोनों सदन सोमवार सुबह 11:00 बजे तक के लिए स्थगित हो गए हैं। एक तरफ सत्तापक्ष राहुल गांधी के लंदन में दिए गए बयान को लेकर माफी मांगने पर अड़ा हुआ है तो दूसरी तरफ विपक्ष इन आरोपों को एक सिरे से नकार रहा है। उसका कहना है कि अडाणी-हिंडनबर्ग रिपोर्ट मामले में विपक्ष और जनता का ध्यान भटकाने के लिए सत्तापक्ष की एक नई साजिश है।

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