इलेक्शन मोड में कांग्रेस.. 13 जिलों में 6 सभाएं, ERCP होगा मुद्दा, राहुल-प्रियंका और खरगे भी आएंगे
जयपुर। विधानसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस पूरी तरह से इलेक्शन मोड में आ गई है। कांग्रेस कोर कमेटी की बैठक शुक्रवार को जयपुर में हुई। यह बैठक करीब साढ़े चार घंटे तक चली। जिसमें चुनावी रणनीति को लेकर चर्चा की गई और टिकट की सूची के संभावित नामों को लेकर भी मंथन हुआ। इस बैठक में सीएम अशोक गहलोत के साथ-साथ पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा, प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोहन प्रकाश, हरीश चौधरी, कैबिनेट मंत्री गोविंद मेघवाल, मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीय सहित अन्य नेता भी वॉर रूम में पहुंचे और अपना पक्ष रखा।
बैठक के बाद जानकारी देते हुए पीसीसी चीफ डोटासरा ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस 6 सभाएं करेगी। इन सभाओं में राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे समेत कई नेता शामिल होंगे। जो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में जाकर बैठकें करेंगे। डोटासरा ने कहा कि इन सभाओं के लिए शनिवार को ही प्रस्ताव बनाकर शीर्ष नेताओं को निमंत्रण भेज दिया जाएगा और पीसीसी के बुलावे पर यह नेता प्रदेश में आएंगे।
वहीं, कमेटी की बैठक में निर्णय हुआ कि कांग्रेस ईआरसीपी को इस चुनाव में मुद्दा बनाएगी। इसके लिए प्रदेशभर में पार्टी की ओर से पदयात्रा निकाली जाएगी। हालांकि यह की तारीख का ऐलान नहीं किया गया हैं। डोटासरा ने कहा कि 13 जिलों के नेताओं को बुलाकर चर्चा की जाएगी, जिन जिलों के लोग ईआरसीपी की मांग कर रहे हैं। उनसे चर्चा के बाद केंद्र से पानी की मांग पूरी करने के लिए पार्टी यात्रा निकालेगी।
काम किया दिल से, कांग्रेस फिर से
कांग्रेस अपनी जनकल्याणकारी योजनाओं को लेकर चुनावी मैदान में उतरेगी। कोर कमेटी बैठक में चर्चा हुई कि पार्टी का कार्यकर्ता बूथ स्तर तक घर-घर योजनाओं को पहुंचाएंगे। हमने चुनावों क लिए काम किया दिल से कांग्रेस फिर से का नारा दिया है। वहीं डोटासरा ने ईआरसीपी को लेकर कें द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह को घेरा। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री कह रहे है कि भाजपा की सरकार बना दो ईआरसीपी के पैसा दें देंगें। यह भाजपा वाले सत्ता के लालची भेडिए हैं। यह सत्ता के लिए काम करते हैं।
उपराष्ट्रपति को इलेक्शन में नहीं जाना चाहिए
डोटासरा ने कहा कि उपराष्ट्रपति धनखड़ वकील आदमी जो वकालत छोड़ने के लिए इतने बड़े संवैधानिक पद पर जाने के बाद ऐसे गोलमाल जवाब देता हैं। हमारे प्रदेश का होने का कारण हमारा सीना फूलता था लेकिन चुनावी समय में संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को ऐसे नहीं आना चाहिए। कम से कम दो माह तो छोड़ दें।
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