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CM गहलोत की घोषणा से आलाकमान गदगद, माना- इस मर्तबा तो रिवाज बदलना तय

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के 19 नए जिले व तीन और संभाग बनाने की घोषणा ने समूची कांग्रेस में भी उत्साह भर दिया है।
08:51 AM Mar 19, 2023 IST | Anil Prajapat

नई दिल्ली। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के 19 नए जिले व तीन और संभाग बनाने की घोषणा ने समूची कांग्रेस में भी उत्साह भर दिया है। पार्टी के राष्ट्रीय मुख्यालय और नेताओं में राजस्थान को लेकर बड़ी उम्मीदें जग गई है। नेताओं में एक ही चर्चा है कि गहलोत ने अपने फैसलों से बीजेपी को पूरी तरह से बैकफुट पर ला दिया है। गहलोत की पुरानी पेंशन योजना बहाली, चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना, शहरी रोजगार गारंटी योजना, 8 रुपए में भोजन, 500 रुपए में गरीब को सिलेंडर सहित दर्जन भर योजनाओं को लेकर आलाकमान पहले से ही उत्साहित था, अब नई घोषणा से बहुत गदगद है। राजस्थान अकेला प्रदेश है जहां पर सत्ता और संगठन के बीच जबरदस्त तालमेल के चलते पार्टी बहुत मजबूत स्थिति में दिख रही है।

मुख्यमंत्री गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के तालमेल की भी बड़ी चर्चा है। एक तरफ जहां मुख्यमंत्री गहलोत चौंकाने वाले फैसले कर सरकार को मजबूती दे रहे हैं, वहीं डोटासरा संगठन को मजबूत और एकजुट कर रहे हैं। इस बीच, गहलोत शनिवार को दिल्ली पहुंचे। यहां उनकी पार्टी अध्यक्ष खरगे से काफी देर मुलाकात हुई। माना जा रहा है कि इस मुलाकात में राजस्थान ही नहीं, अन्य प्रदेशों के विधानसभा चुनावों के साथ ही एआईसीसी टीम में राजस्थान के प्रतिनिधित्व को लेकर भी चर्चा हुई। इस मुलाकात के दौरान दोनों नेता प्रफुल्लित नजर आए।

गहलोत की योजनाओं से भाजपा चिंतित

सियासत के जानकार भी मान रहे हैं कि सीएम गहलोत इस बार जैसी राजनीति कर रहे हैं, उससे कांग्रेस को ताकत मिली है। उनकी योजनाओ की देशभर में चर्चा है। बीजेपी इन योजनाओं को लेकर खासी चिंतित है। हिमाचल की जीत में गहलोत की योजनाओं की भी महती भूमिका रही। कर्नाटक में बीजेपी की सरकार केंद्र के विरुद्ध ओपीएस पर विचार को मजबूर है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस गहलोत के फैसलों को अपना हथियार बना रही है। छत्तीसगढ़ में भी राजस्थान के फैसले लागू किए गए। महाराष्ट्र में कर्मचारियों के आंदोलन से सरकार दबाव में है।

जनता समझ चुकी, कांग्रेस हारी तो योजनाएं हो जाएंगी बंद

कांग्रेस आलाकमान भी स्वीकारने लगा है कि गहलोत के फै सले राजस्थान में रिवाज बदल सकते हैं। ऐसे में 2024 में बीजेपी को आसानी से घेरा जा सके गा। जानकार मान रहे हैं कि राज्य की जनता इस बार धर्म की राजनीति के बहकावे में नहीं आएगी। जो उत्साह जनता में दिख रहा है, उससे इस बार गहलोत सरकार की वापसी तय मानी जा रही है, क्योंकि आम जन समझने लगा है कि यदि सरकार हारी तो सभी योजनाएं बंद हो जाएं गी।

19 नए जिले बनाने का फैसला लिया बहुत स्टडी के बाद

सीएम गहलोत ने शनिवार को दिल्ली में एयरपोर्ट पर मीडिया से बात करते हुए राजस्थान में 19 नए जिले और 3 संभाग बनाने के सवाल पर कहा कि क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान देश का सबसे बड़ा राज्य है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में 55 जिले हैं। पश्चिम बंगाल में भी हाल ही में 7 नए जिलों की घोषणा हुई है। हमने बहुत स्टडी के बाद यह निर्णय लिया है। इस फै सले का प्रदेशवासियों ने भी स्वागत किया है। अब प्रशासनिक इकाइयां ज्यादा सक्रिय होंगी। लोगों को पहले 100-100 किमी दूर जाना पड़ता था, अब निकट ही उनके काम हो जाएं गे। गहलोत ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि देश में तानाशाही का माहौल है, लोकतंत्र खतरे में है। ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स ने आतंक मचा रखा है। पहली बार सत्ता पक्ष ही संसद को चलने से रोक रहा है। राहुल गांधी को किस बात के लिए माफी मांगनी चाहिए? माफी मांगनी है तो पीएम मोदी को मांगनी चाहिए।

‘गहलोत फिर से’ पर यह बोले सीएम

प्रदेश में विधानसभा चुनाव में नेतृत्व के सवाल पर पार्टी आलाकमान ने शुक्रवार को ही बड़ा संकेत दे दिया था। एआईसीसी के ऑफिशियल इंस्टाग्राम पर पार्टी की तरफ से संदेश लिखा गया है कि “राजस्थान में गहलोत फिर से…।” इसे पायलट चैप्टर क्लोज होने का संकेत माना जा रहा है। खरगे से मुलाकात के बाद गहलोत ने पत्रकारों से बातचीत में इस मुद्दे पर कहा कि कांग्रेस में चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री का फैसला आलाकमान करता है। आगे भी यही परम्परा रहेगी। पायलट से मतभेद के बारे में पूछे जाने पर गहलोत ने कहा कि कोई मतभेद नहीं हैं, हर पार्टी में छोटे-मोटे मतभेद होते रहते हैं। हम सब मिलकर चुनाव लड़ेंगे और सरकार बनाएंगे।

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