कांग्रेस का महाधिवेशन आज से, भारत जोड़ो यात्रा से राहुल गांधी और प्रदेश की योजनाओं से छाए रहेंगे CM गहलोत
दिल्ली। रायपुर में आज से शुरू होने जा रहे कांग्रेस के 9वें महाधिवेशन में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनकी योजनाओं के छाए रहने की पूरी संभावना है। गहलोत की योजनाओं ने जिस तरह बीजेपी को परेशानी में डाला है उससे पार्टी में खासा उत्साह का माहौल है। दरअसल, गहलोत की पुरानी पेंशन योजना की बहाली, चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना, 500 रुपए में गरीब को सिलेंडर, शहरी रोजगार गारंटी योजना, किसानों को 2000 यूनिट और 200 यूनिट बिजली मुफ्त जैसे फैसलों ने कहीं ना कहीं बीजेपी को चिंता में डाला है।
राजस्थान में सरकार रिपीट होने की चर्चा
गहलोत की इन योजनाओं के चलते राजस्थान को लेकर धारणा पूरी तरह से बदल गई है। दिल्ली तक में अब चर्चा आम है कि राजस्थान में इस बार रिवाज बदलने जा रहा है, गहलोत सरकार फिर वापस आ रही। कांग्रेस महाधिवेशन के पहले दिन संचालन समिति की अहम बैठक होगी। इस बैठक में तैयार किए गए प्रस्तावों को जहां हरी झंडी देगी, वहीं कार्यसमिति के चुनाव पर भी फैसला हो सकता है।
कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव पर लगेगी मुहर
अधिवेशन में कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव पर मुहर लगेगी, वहीं नई कार्यसमिति का भी फै सला होगा। अधिक संभावना यही है कि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को समिति के सदस्यों के चयन के लिए अधिकृत कर दिया जाएगा। 25 सदस्यों वाली समिति में 12 सदस्यों को अध्यक्ष नामित करते हैं और 12 पर चुनाव होता है, लेकिन आम सहमति के चुनाव के आसार कम है। इसके बाद खुले अधिवेशन में राहुल गांधी जहां प्रमुख रूप से चर्चा में रहेंगे वही मुख्यमंत्री गहलोत और उनकी योजनाओ पर चर्चा के आसार है।
गहलोत, कमलनाथ और बघेल को मिलेगा फ्री हैंड!
योजनाओं के चलते मुख्यमंत्री गहलोत सुर्खियों में बने हुए हैं। एआईसीसी डेलीगेट के चुनाव से एक बात साफ हो गई है कि गहलोत पर ही पार्टी का पूरा भरोसा है। अधिवेशन के बाद मुख्यमंत्री गहलोत को पार्टी राजस्थान को लेकर और अधिकार दे सकती है। ऐसे भी संकेत हैं कि गहलोत को राजस्थान में, कमलनाथ को मध्यप्रदेश में और भूपेश बघेल को छत्तीसगढ़ में फ्री हैंड दे सारे फैसले के अधिकार दे दिए जाएंगे। अधिवेशन में पार्टी राजस्थान, कर्नाटक, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव जीतने के साथ ही 2024 लोकसभा चुनाव की रणनीति को भी अंतिम रूप देगी।