पाइला नामक जीव से बनता है शंख, धार्मिक ग्रंथों में किया गया इसकी उत्पत्ति का उल्लेख
हिंदू धर्म में शंख की बहुत मान्यता है। भारत तथा कई ऐसे देश जहां हिंदू धर्म के लोग निवास करते हैं, वे शंख के बारे में विशेष ज्ञान रखते हैं। कई घरों में भगवान के मंदिर में शंख रखा भी होता है। सुबह-शाम होने वाली आरती के समय शंखनाद भी किया जाता है। शंख का घर में होना बहुत शुभ माना जाता है। इसकी उत्पत्ति प्राचीन काल में हुई थी।
इसका निर्माण समुद्र के जलचर से होता है। जलचर मिलकर एक ढांचा बनाते हैं, जो कि अधिकतर पेचदारवामावर्त या दक्षिणावर्त में बना होता है। शंख एक प्रकार के जीव से बनता है, जो कि मोलस्का संघ का प्राणी है। इसके शरीर पर चारों ओर एक कठोर आवरण बना होता है। इसमें कैल्शियम कार्बोनेट पाया जाता है। इस जीव को पाइला या स्नेल कहा जाता है। इसके अलावा समुद्र में पाए जाने वाले सीपी तथा यूनियो नामक जीव से मोती प्राप्त होता है।
शंख की उत्पत्ति
शंख की उत्पत्ति के बारे में धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है। इनके अनुसार शंख की उत्पत्ति भी माता लक्ष्मी की तरह समुद्र से हुई थी। इसलिए इसे मां लक्ष्मी का भाई भी बताया गया है। धार्मिक ग्रंथों में वर्णन मिलता है कि शंख का उद्भव समुद्र मंथन के दौरान हुआ था। समुद्र मंथन से चौदह रत्नों की प्राप्ति हुई थी। शंख भी इन्हीं में से एक है।
हिंदु देवता भगवान विष्णु और लक्ष्मी दोनों के हाथों में शंख दिखाई देता है। इसलिए इसे बेहद शुभ माना गया है। आकृति के आधार पर शंख के तीन प्रकार है- दक्षिणावृत्ति शंख, मध्यावृत्ति शंख तथा वामावृत्ति शंख। भगवान विष्णु के शंख का नाम दक्षिणावर्ती, माता लक्ष्मी के शंख का नाम वामावर्ती है। मान्यता है कि वामावर्ती शंख घर में स्थापित करने से धन का अभाव नहीं होता।
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क्या कहता है वास्तुशास्त्र
वास्तुशास्त्र के अनुसार पूजा-पाठ के समय घर या सार्वजनिक स्थानों पर शंख बजाने से वातावरण पवित्र होता है। जितनी अधिक दूरी तक इसकी आवाज जाती है उतना ही अच्छा माना जाता है। क्योंकि इसकी आवाज से मन में सकारात्मक ऊर्जा तथा विचार पैदा होते हैं।
ब्रह्मवैवर्त पुराण में यह भी कहा गया है कि इसमें जल भरकर रखने से आसपास का वातावरण शुद्ध रहता है। स्वास्थ्य के लिहाज से भी इसे लाभदायक माना गया है। शंख बजाने से फेफड़े स्वस्थ रहते हैं। पुराणों में लिखा है कि यदि श्वास संबंधी बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति प्रतिदिन शंखनाद करता है तो जल्दी ठीक होता है। इसमें रखे पानी का सेवन करने से हड्डियां मजबूत होती हैं।
शंखों के अलग-अलग नाम
विश्व के सबसे बड़े महाकाव्य महाभारत में लिखा है कि राजा विराट के एक बेटे का नाम शंख था। आज भी लोग महाभारतकालीन प्रसिद्ध शंखों की चर्चा करते हैं। इनके नाम भगवान कृष्ण, अर्जून और अन्य महाभारत के पात्रों के नाम पर हैं। जैसे- श्रीकृष्ण के नाम पर पाञ्चजन्य, अर्जुन के नाम पर देवदत्त, भीम के नाम पर पौण्ड्र, युधिष्ठिर के नाम पर अनन्तविजय, नकुल के नाम पर सुघोष तथा सहदेव के नाम पर मणिपुष्पक है।
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