सीएम गहलोत ने कर्मचारी संगठनों के साथ किया बजट पूर्व संवाद
जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कर्मचारियों के भविष्य की सुरक्षा को देखते हुए मानवीय दृष्टिकोण से ओपीएस को पुनः लागू किया। ओपीएस लागू होने से कर्मचारी भविष्य की चिंता से मुक्त होकर जिम्मेदारी के साथ कार्य कर सकेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि ओपीएस के फैसले पर राज्य सरकार अडिग है। उन्होंने कहा कि कर्मचारी राज्य सरकार का एक अभिन्न अंग हैं।
सरकार द्वारा संचालित जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ अंतिम छोर तक पहुंचाने में कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि योजनाओं के निचले स्तर तक प्रभावी क्रियान्वयन में कर्मचारी एक अहम कड़ी के रूप में कार्य करते हैं। हमारी सरकार राज्य कर्मचारियों के हित में निरंतर कार्य कर रही है।
शासन सचिवालय में कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बजट पूर्व संवाद में गहलोत ने कहा कि कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से सरकार की सुशासन की संकल्पना पर असर पड़ता है तथा आमजन के कार्यों में अनावश्यक रूप से देरी होती है। संवाद कायम होने से विभिन्न प्रकार की समस्याओं का हल आसानी से समयबद्ध रूप से किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कर्मचारी संगठन अपने महत्वपूर्ण सुझावों के माध्यम से आगामी बजट को समावेशी एवं लोक कल्याणकारी बना सकते हैं। बजट के लिए राज्य सरकार सभी वर्गों के प्रतिनिधियों से सुझाव ले रही है। राज्य सरकार का प्रयास रहेगा कि उनके सकारात्मक सुझावों को बजट में शामिल किया जाए। बजट को जन केन्द्रित बनाने की दिशा में कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों के सुझाव भी उपयोगी साबित होंगे।
कर्मचारी हित में उठाए गए कदमों के लिए दिया मुख्यमंत्री को साधुवाद
विभिन्न कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने बजट पूर्व संवाद में उन्हें आमंत्रित करने पर मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया। प्रतिनिधियों ने ओपीएस को फिर से लागू करने, आरजीएचएस, मंत्रालयिक कर्मचारियों की नई भर्तियों एवं अन्य समस्याओं के समाधान की दिशा में उठाए गए कदमों, विसंगतियों को दूर कर पदोन्नति की राह खोलने सहित महत्वपूर्ण निर्णयों के लिए राज्य सरकार को साधुवाद दिया।
सरकार-कर्मचारियों में निरंतर संवाद जरूरी
गहलोत ने कहा कि सरकार तथा कर्मचारियों के बीच निरंतर संवाद होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा कर्मचारियों को पदोन्नति के अवसर पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इसके लिए आवश्यकता पड़ने पर वर्ष में दो बार डीपीसी को मंजूरी दी गई है। उन्होंने कहा कि 51 सेवा नियमों काे अपडेट किया गया है। वार्षिक प्रगति प्रतिवेदन (एसीआर) को ऑनलाइन करने के साथ ही ऑटो अप्रूवल प्रक्रिया भी लागू की गई है। गहलोत ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति के नियमों में भी शिथिलन देकर राज्य सरकार द्वारा नियुक्तियां दी गई हैं।