‘कुछ भी कर सकते हैं निमंत्रण में नाम बदलने वाले...खेल रहे खतरनाक खेल’ गहलोत का केंद्र पर प्रहार
CM Gehlot Bhilwara Tour : जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व पर निशाना साधते हुए कहा कि जब से विपक्षी पार्टियों का गठबंधन ‘इंडिया’ बना है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बोली बदल गई है। साथ ही, भाषणों में गृह मंत्री की भी बोली बदल गई है। केन्द्रीय मंत्रियों और नेताओं का जो बोलने का तरीका है, उनकी बॉडी लैंग्वेज बदल गई है। विपक्षी दलों का गठबंधन बनने से वे इतना घबरा गए हैं कि उनकी बोली बदल गई है और अब वे ‘इंडिया-भारत’ के नाम पर नया विवाद खड़ा कर रहे हैं।
भीलवाड़ा में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री गहलोत ने केंद्र सरकार द्वारा बिना एजेंडा घोषित किए संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने को खतरनाक करार दिया। गहलोत ने कहा कि यह खतरनाक बात है कि केंद्र सरकार ने संसद सत्र बुलाया है, लेकिन उसका एजेंडा पता नहीं है। संसद का अधिवेशन बुला लिया, कोई दिक्कत नहीं है। सोनिया गांधी कह रही हैं कि यह तो बताओ, आपने किसी को पूछा नहीं और अधिवेशन बुला लिया, साथ में एजेंडा क्या है, किसी को बता नहीं रहे हैं।
उन्होंने कहा कि आप अगर यह बताएंगे नहीं कि एजेंडा क्या है। ऐसे में आपकी मंशा क्या है? मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा देश में खतरनाक खेल खेल रही है और दोहराया कि लोकतंत्र खतरे में है और संविधान की धज्जियां उड़ रही हैं। उन्होंने कहा कि इन हालात को लेकर पूरे देश का बुद्धिजीवी, पत्रकार, साहित्यकार, लेखक अधिकांश लोग चिंतित हैं।
निमंत्रण में नाम बदलने वाले कुछ भी कर सकते हैं
गहलोत ने कहा कि जी-20 के भोज के निमंत्रण पर ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ को बदलकर ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ कर दिया गया। वे ‘राष्ट्रपति ऑफ हिंदुस्तान’ लिख सकते थे। वे कु छ भी कर सकते हैं। वे देश में बहुत खतरनाक खेल खेल रहे हैं।
अपनी बात कहने वाला देशद्रोही!
सीएम गहलोत ने आरोप लगाया कि देश में अगर आप अपनी बात कह दो, तो आप देशद्रोही हो। क्या हो रहा है देश के अंदर? ईडी, आयकर, सीबीआई राज कर रही है। न्यायपालिका पर दबाव है। ऐसा खतरनाक खेल मैंने कभी नहीं देखा। पूरा देश चितिंत है। अगर देश को बचाना है तो सबको आगे आना पड़ेगा।
आपातकाल का सोच समझकर हुआ फैसला
कांग्रेस के केंद्र में सत्तारूढ़ होने के समय बार ‘तानाशाही’ किए जाने के आरोपों पर गहलोत ने कहा कि ऐसा कभी नहीं हुआ। इमरजेंसी लगी थी। एक कॉन्शियस फै सला हुआ था। सोच समझ कर इंदिरा जी ने फैसला किया। गहलोत ने कहा कि केंद्र में राजग की सरकार बनने के एक साल बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा था कि देश में अघोषित आपातकाल का माहौल है। इसके बाद वो पीछे हट गए, यह अलग बात है। आरएसएस के दबाव में पीछे हट गए। उनका खुद का (आडवाणी) का जो बयान आया था, वो खतरनाक था एक संकेत था, वो ही आप नौ साल से देख रहे हो।
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