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CM गहलोत ने 19 नए जिलों की घोषणा की, बांसवाड़ा, पाली और सीकर बनेंगे संभाग, 2000 करोड़ का रखा बजट

06:47 PM Mar 17, 2023 IST | Jyoti sharma
cm गहलोत ने 19 नए जिलों की घोषणा की  बांसवाड़ा  पाली और सीकर बनेंगे संभाग  2000 करोड़ का रखा बजट

सीएम अशोक गहलोत ने आज विधानसभा के अंदर बड़ा चुनावी मुद्दा खेल दिया है उन्होंने अपने बजट पास करने के भाषण में नई घोषणा की जिसमें उन्होंने सबसे बड़ी घोषणा की कि अब प्रदेश में 19 नए जिले और तीन नए संभाग होंगे। इसके लिए उन्होंने 2000 करोड रुपए का बजट रखा है। इनमें संभाग में बांसवाड़ा, पाली और सीकर होगा।

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वहीं यह होंगे 19 जिले

अनूपगढ़, बालोतरा, ब्यावर, डीडवाना, दूदू, गंगापुर सिटी, जयपुर उत्तर, जयपुर दक्षिण, केकड़ी, जोधपुर उत्तर, जोधपुर दक्षिण, कोटपूतली, बहरोड़, नीमकाथाना, फलोदी, सलूंबर, सांचौर, शाहपुरा, डीग

3 नए संभाग

सीएम गहलोत ने जिन 3 संभाग की घोषणा की है वह होंगे बांसवाड़ा पाली और सीकर। यानी अब प्रदेश में 50 जिले और 10 संभाग होंगे।

विधानसभा चुनाव को लेकर माना जा रहा है बड़ा दांव

सीएम अशोक गहलोत के नए जिलों और संभागों की घोषणा करने को लेकर राजनीतिक विशेषज्ञ से आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस का एक बड़ा दांव मान रहे हैं। क्योंकि लंबे समय से इन क्षेत्रों को जिलों और संभागों में घोषित करने की मांग उठाई जा रही थी। इन क्षेत्रों से संबंधित इनके विधायक भी अपनी मांगों को लेकर मुखर रहे हैं। कई विधायकों की तो इस पर खुलकर नाराजगी तक भी सामने आ चुकी थी और यह विधायक खुद कांग्रेस के ही विधायक हैं।

इसलिए आने वाले चुनाव में विधायकों की बेरुखी कहीं कांग्रेस का काम खराब ना कर दे। इसे देखते हुए सीएम अशोक गहलोत ने एक बड़ा कदम चुनाव के नजरिए से उठाया है। 19 जिलों की घोषणा होने के बाद अब प्रदेश में कुल 50 जिले होंगे तो वही 3 संभागों के बाद अब राजस्थान 10 संभागों में बंटा होगा।

राजस्थान जैसे प्रदेश के लिए कारगर होगा यह कदम

हालांकि इस कदम की कई राजनीतिक विश्लेषक तारीफ भी कर रहे हैं क्योंकि राजस्थान देश के सबसे बड़े प्रदेश में आता है। भौगोलिक और जलवायु की स्थिति में राजस्थान सबसे प्रमुख प्रदेश है। ऐसे में यहां के हर व्यक्ति तक और अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति तक सरकार की योजनाएं और हर वह सुख सुविधाएं पहुंचे जो मूलभूत की श्रेणी में आती हैं। उसके लिए यह कदम काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। तो वहीं चुनाव के नजरिए से भी अब कांग्रेस को कमर कसनी होगी क्योंकि इन जिलों के जनप्रतिनिधियों के लिए टिकट का वितरण भी कांग्रेस के लिए एक टेढ़ी खीर साबित हो सकता है। हालांकि सूझबूझ से किए गए काम में अशोक गहलोत इस मामले में भी अपनी सूझबूझ दिखाएंगे।

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