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न्यूक्लियर फ्यूजन का बनाया विश्व रिकॉर्ड, ‘नकली सूरज’ बनाने के करीब वैज्ञानिक

न्यूक्लियर फ्यूजन ठीक वही तकनीक है जिसके आधार पर हमारा सूरज काम करता है और यही वजह है कि इस प्रयोग को नकली सूरज बनाने का प्रयास कहा जा रहा है।
09:00 AM Feb 10, 2024 IST | BHUP SINGH
न्यूक्लियर फ्यूजन का बनाया विश्व रिकॉर्ड  ‘नकली सूरज’ बनाने के करीब वैज्ञानिक

लंदन। दुनियाभर में इस समय अनंत ऊर्जा के स्रोत को खोजने को लेकर अरबों डॉलर का निवेश किया जा रहा है। अमेरिका से लेकर चीन तक के वैज्ञानिक अनंत ऊर्जा के स्रोत को लेकर शोध कर रहे हैं। इस बीच ब्रिटेन के बहुचर्चित ऑक्सफोर्ड शहर के पास वैज्ञानिक और इंजीनियरों ने न्यूक्लियर फ्यूजन एनर्जी का रिकॉर्ड बनाया है। इसे साफ और स्वच्छ अनंत ऊर्जा हासिल करने की दिशा में एक और बड़ा कदम माना जा रहा है। इस प्रयोग के दौरान 12 हजार घरों के लिए बिजली बनाने में सफलता मिली। न्यूक्लियर फ्यूजन ठीक वही तकनीक है जिसके आधार पर हमारा सूरज काम करता है और यही वजह है कि इस प्रयोग को नकली सूरज बनाने का प्रयास कहा जा रहा है।

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सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक एक बड़े डोनट के आकार की मशीन ‘ज्वाइंट यूरोपियन टॉरस’ (जेईटी) या टोकामैक का उपयोग करके वैज्ञानिकों ने सिर्फ 0.2 मिलीग्राम ईंधन से पांच सेकंड के लिए 69 मेगाजूल संलयन आधारित ऊर्जा उत्पन्न की। यह ऊर्जा लगभग 12,000 घरों को समान समय के लिए बिजली देने के बराबर है। नाभिकीय संलयन ठीक वही प्रक्रिया है जो सूर्य और अन्य तारों को ऊर्जा देती है। इसे स्वच्छ ऊर्जा का बड़ा स्रोत माना जा रहा है।

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दुनियाभर के विशेषज्ञों ने दशकों से पृथ्वी पर इस जटिल प्रक्रिया को पूरा करने के लिए काम किया है। यदि वे ऐसा कर पाते हैं, तो परमाणु संलयन बहुत कम ईंधन से भारी मात्रा में ऊर्जा पैदा कर सकता है। साथ ही साथ वातावरण को गर्म करने वाला कार्बन भी इस प्रक्रिया के दौरान नहीं निकलेगा।

टोकामैक मशीन में तापमान 150 मिलियन डिग्री सेल्सियस

वैज्ञानिकों ने इस टोकामैक मशीन में हाइड्रोजन के दो रूप ड्यूटेरियम और ट्रिटियम डाले, जिनका इस्तेमाल भविष्य के वाणिज्यिक संलयन संयंत्रों में भी किया जाएगा। संलयन ऊर्जा बनाने के लिए, वैज्ञानिकों की टीम ने मशीन में तापमान को 150 मिलियन डिग्री सेल्सियस तक बढ़ा दिया, जो सूर्य के केंद्र से लगभग 10 गुना अधिक गर्म है। यह अत्यधिक गर्मी ड्यूटेरियम और ट्रिटियम को एक साथ मिलकर हीलियम बनाने के लिए मजबूर करती है और इस प्रक्रिया में भारी मात्रा में ऊर्जा निकलती है।

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