मोबाइल में सिमट कर रह गई है बच्चों की दुनिया, स्मार्ट कौन? बच्चे या फोन
हर जेब में स्मार्ट फोन और हर घर में इंटरनेट कनेक्शन.. यही आज की दुनिया का सच है। यह सच बड़ों से लेकर बच्चों तक को अपनी आदत का शिकार बना रहा है। मोबाइल की ऐसी लत कि मोबाइल ना दिखे तो बेचैनी होने लगी है। बच्चों में यह लत तेजी से फैल रही है। मोटापा, उग्रता और साथ में कहीं-कहीं अपराध, ऐसे कई परिणाम अब सामने आने लगे हैं। इन सभी दुष्प्रभावों के बारे में हम बात तो करते हैं, लेकिन मोबाइल से बच्चों को कैसे बचाएं, यह समझ से बाहर होता नजर आ रहा है।
माता-पिता से नहीं, मोबाइल से हैं खुश
वहीं एक अन्य अध्ययन के मुताबिक दुनिया में किशोर आयु वर्ग के मोबाइल 72 फीसदी यूजर्स सुबह उठते ही मोबाइल पर मैसेज और नोटिफिकेशन चेक करते हैं। 56 फीसदी फोन पास न होने पर अकेला और उदास महसूस करते हैं। 54 फीसदी स्वीकारते हैं कि वे मोबाइल पर जरूरत से ज्यादा समय बिताते हैं। 47 फीसदी माता-पिता को लगता है कि उनके बच्चे स्मार्टफोन के आदी हो चुके हैं। 27 फीसदी डिप्रेशन की आशंका बढ़ जाती है सोशल मीडिया का प्रयोग अधिक करने से।
बच्चों के व्यवहार पर सीधा असर
दस साल तक के बच्चे जो दिनभर में 2 घंटे से ज्यादा स्क्रीन के सामने बिताते हैं, उनके व्यवहार में बदलाव साफ देखा जा सकता है। इन बच्चों में काम में मन न लगने, एकाग्रता की कमी और लोगों से दूर होने जैसा व्यवहार देखा जा सकता है। ऐसा व्यवहार बच्चों के वर्तमान और भविष्य के लिए बहुत खतरनाक है। ऐसे बच्चे पढ़ाई से भी कटने लगते हैं और नंबर भी कम आने लगते हैं।
इसके साथ ही ऐसा बहुत बार देखा है कि जो बच्चे बहुत समय टीवी, फिल्मों, वीडियो गेम्स और वीडियोज में घुसे रहते हैं, वो बच्चे बहुत आक्रामक हो जाते हैं। अमेरिकन एकेडमी ऑफ चाइल्ड एंड एडोलेसेंट साइकायट्री के मुताबिक ये बच्चे अपने परिवार और दोस्तों के प्रति भी बहुत आक्रामक हो जाते हैं।
स्क्रीन टाइम पर लगे लगाम
कुछ समय पूर्व अमेरिकन एके डमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ने बच्चों के स्क्रीन टाइम के संबंध में कुछ दिशा-निर्देश जारी किए हैं। उसके मुताबिक 18 महीने से कम उम्र के बच्चे स्क्रीन का इस्तेमाल ना करें। 18 से 24 महीने के बच्चे को माता-पिता उच्च गुणवत्ता वाले प्रोग्राम ही दिखाएं । 2 से 5 साल के बच्चे एक घंटे से ज्यादा स्क्रीन का इस्तेमाल ना करें। छह साल और उससे ज्यादा उम्र के बच्चों के स्क्रीन देखने का समय सीमित हो। सुनिश्चित करें बच्चे के पास सोने, फिजिकल एक्टिविटी और अन्य जरूरी कामों के लिए पर्याप्त समय हो।
49.8 फीसदी बच्चे मायोपिया के शिकार
जर्नल आफ मेडिकल इंटरनेट रिसर्च में छपी रिपोर्ट के अनुसार स्मार्टफोन के अधिक इस्तेमाल से दुनियाभर में 5 से 8 साल की आयु के 49.8 फीसदी बच्चे मायोपिया के शिकार हो सकते हैं। स्मार्टफोन के अधिक उपयोग से आंखों की रोशनी भी जा सकती है और एस्थेनोपिया जैसी बीमारी भी हो सकती है।
अंतरराष्ट्रीय औसत से अधिक उपयोग
आई मैकफी की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 10-14 वर्ष की आयु के बच्चों में स्मार्टफोन का उपयोग 83% है, जो 76% के अंतरराष्ट्रीय औसत से 7 फीसदी अधिक है। अध्ययन में पाया गया कि लगभग 22 फीसदी भारतीय बच्चों ने कभी न कभी साइबर बुलिंग का अनुभव किया, जो 17 फीसदी के वैश्विक औसत से 5 फीसदी अधिक था।
गर्भस्थ शिशु को हो सकता है नुकसान
एक रिपोर्ट के मुताबिक येल स्कूल ऑफ मेडिसिन में किए गए शोध में पाया गया है कि अत्यधिक मोबाइल रेडिएशन में अगर गर्भवती मां रहती है तो जन्म के बाद बच्चे को जीवन भर बिहेवियर प्रॉब्लम से गुजरना पड़ता है। संभवतया इसकी वजह से गर्भ में पल रहे बच्चे के मानसिक विकास पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
दरअसल जब हम मोबाइल, लैपटॉप या किसी भी तरह के वाईफाई या वायरलेस डिवाइस के संपर्क में आते हैं तो इससे हर वक्त इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडियो वेव्स निकलते रहते हैं। ये वेव्स हमारे शरीर के डीएनए को डैमेज करने की क्षमता रखते हैं और हमारे शरीर में बन रहे जीवित सेल्स के मोलक्यूल्स को बदल सकते हैं। जिसका असर लॉंग टर्म काफी खतरनाक हो सकता है, चूंकि भ्रूण हर वक्त ग्रोथ कर रहा है ऐसे में उसके डीएनए और लीविंग आ सेल्स सानी से इसकी चपेट में आ सकते हैं।
बस एक प्रयास मोबाइल रहे दूर
अब सवाल यह आता है कि बच्चों से मोबाइल को दूर कैसे किया जाए। वर्तमान समय में गेम खेलने से लेकर पढ़ाई करने के लिए बच्चे अक्सर फोन की तरफ भागते हैं। वहीं बच्चों को फोन से दूर रखने के लिए पैरेंट्स भी तमाम तरीके आजमाते हैं। आखिर में माता-पिता भी बच्चों की जिद के आगे हार मान जाते हैं। ऐसे में कुछ आसान तरीके कारगर साबित हो सकते हैं जो बच्चों से फोन की लत छुड़ा सकते हैं। बच्चों को फोन से दूर रखने के लिए पेरेंट्स को खुद भी मोबाइल से दूरी बनाने पड़ेगी।
दरअसल, बच्चे अच्छी और बुरी सभी आदतें माता-पिता से ही सीखते हैं। ऐसे में बच्चों के सामने मोबाइल का कम से कम इस्तेमाल करें और बच्चों को भी इससे दूर रहने की सलाह दें। आमतौर पर बच्चे गेम खेलने के लिए फोन का इस्तेमाल करते हैं। बच्चों को गेम खेलता देखकर पैरेंट्स उन्हें तुरंत फटकार लगा देते हैं।
ऐसे में बच्चों को गेम खेलते समय टोंकने से बचें और फोन साइड में रखने के बाद बच्चों को प्यार से बिठाकर समझाने की कोशिश करें। फोन की लत का शिकार होने वाले ज्यादातर बच्चे मोबाइल के नुकसानों से अनजान रहते हैं। बच्चों को हद से ज्यादा फोन इस्तेमाल करने के साइड इफेक्ट्स बताएं। इसके साथ ही उन्हें समझाएं कि फोन यूज करने से उनकी आंखें, स्किन और हेल्थ पर बुरा असर पड़ सकता है।
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