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बदरीनाथ यात्रा को लेकर संस्पेंस खत्म, इस दिन खुलेंगे बाबा के कपाट, जोशीमठ के हालात पर सीएम का बयान

02:17 PM Jan 26, 2023 IST | Sanjay Raiswal
बदरीनाथ यात्रा को लेकर संस्पेंस खत्म  इस दिन खुलेंगे बाबा के कपाट  जोशीमठ के हालात पर सीएम का बयान

चमोली। उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि तय की गई। बदरीनाथ धाम के कपाट इस साल 27 अप्रैल को सुबह 7 बजकर 10 मिनट पर खुलेंगे। कपाट खुलने की तिथि का ऐलान नरेंद्रनगर स्थित राजदरबार में राजपुरोहितों ने बसंत पंचमी के मौके पर कपाट खुलने की तिथि का ऐलान किया। वहीं, गाडू घड़ा तेल कलश यात्रा के लिए 12 अप्रैल की तिथि निश्चित हुई। इस अवसर पर टिहरी राजपरिवार सहित बदरी-केदार मंदिर समिति, डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत के पदाधिकारी व बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।

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चारधाम यात्रा को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि जोशीमठ को लेकर बार-बार भ्रम की स्थिति पैदा की जा रही है जबकि ऐसी स्थिति नहीं है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि जोशीमठ में 70 फीसदी दुकानें खुली हुई हैं। यहां पर कामकाज भी सामान्य रूप से चल रहा है। वहां जनजीवन सामान्य है। लोगों का औली आना-जाना भी जारी है। जोशीमठ में सरकार की ओर से समुचित प्रबंध किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जोशीमठ के हालात पर नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने कहा कि जोशीमठ में आठ संस्थानों की टीमें सर्वेक्षण कर रही हैं। एनडीआरएफ, एनडीएमए मौके पर है।

चारधाम यात्रा को लेकर उठ रहे सवाल!

वहीं, उत्तराखंड के जोशीमठ में जहां एक तरफ भू धंसाव के चलते हालत डरावने होते जा रहे है। आगामी चारधाम यात्रा को लेकर भी तमाम सवाल उठने लगे है। उत्तराखंड के जोशीमठ को बदरीनाथ से जोड़ने वाले पुल तक भी दरारों का दायरा पहुंच गया है। यह पुल जोशीमठ से 11 किमी आगे मारवाड़ी में है। यहां बुधवार को पुल और एप्रोच रोड के जोड़ पर दरारें देखी गईं। इसकी सूचना पर एसडीआरएफ की टीम ने मौके का मुआयना किया। यह पुल जोशीमठ को बदरीनाथ के साथ हेमकुंड साहिब, फूलों की घाटी से भी जोड़ता है। ऐसे में धार्मिक और सामारिक दृष्टि से यह पुल काफी अहम है। बता दें कि भारतीय सेना की माणा पास तक आवाजाही भी इसी पुल से होती है। यह पुल जोशीमठ की तलहटी में अलकनंदा नदी के ऊपर बना है। यहां तक दरारें दिखने से लोग भयभीत हैं।

शंकराचार्य की गद्दीस्थल की सुरक्षा भी खतरे में…

बता दें कि जोशीमठ-रोपवे तिराहे से नृसिंह मंदिर परिसर स्थित आदिगुरू शंकराचार्य के गद्दीस्थल व मठ के रास्ते पर 52 से ज्यादा दरारें हैं। वहीं मंदिर परिसर का एक हिस्सा भी धंस रहा है। ऐसे में धरोहर भी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है। सभासद समीर डिमरी का कहना है कि रोपवे तिराहे से लेकर मंदिर परिसर लगभग तीन किमी है, जिसमें कई दरारें तो चौड़ी होती जा रही हैं। ऐसे में गद्दीस्थल की सुरक्षा भी खतरे में है।

साल 2022 की 46 लाख से अधिक तीर्थयात्री पहुंचे चारधाम

बता दें कि कोरोनाकाल के दो साल बाद साल 2022 में बिना बंदिशों के चली चारधाम यात्रा ने नया रिकॉर्ड बनाया। पहली बार चारों धामों में करीब 46 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने दर्शन किए। 19 नवंबर को बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही चारधाम यात्रा का समापन हो गया था।

पिछले साल 17,60,646 श्रद्धालु पहुंचे थे

पिछले साल बदरीनाथ धाम में 17,60,646 श्रद्धालु पहुंचे थे। वहीं, रिकॉर्ड संख्या में गंगोत्री धाम में 6,24,451 तीर्थ यात्री पहुंचे जबकि यमुनोत्री धाम में 4,85,635 तीर्थ यात्री दर्शनों के लिए पहुंचे। केदारनाथ यात्रा में रिकॉर्ड 15 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे थे। जबकि यात्रा से 211 करोड़ का कारोबार हुआ था।

चार धामों में से एक है बदरीनाथ धाम…

बता दें, बदरीनाथ मंदिर उत्तराखंड के चमोली जनपद में अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। यह मंदिर चार धामों में से एक माना गया है। यह स्थान इस धर्म में वर्णित सर्वाधिक पवित्र स्थानों में से एक है। जिसका निर्माण 7वीं-9वीं सदी में होने के प्रमाण मिलते हैं। मंदिर के नाम पर ही इसके इर्द-गिर्द बसे नगर को भी बदरीनाथ ही कहा जाता है। भौगोलिक दृष्टि से यह स्थान हिमालय पर्वतमाला के ऊंचे शिखरों के मध्य, गढ़वाल क्षेत्र में बसा है। बदरीनाथ भारत के कुछ सबसे व्यस्त तीर्थस्थानों में से एक है।

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