Chandrayaan-3 : भारत कल बन जाएगा चांद को चूमने वाला वर्ल्ड का चौथा देश, ISRO ने कसी कमर
Chandrayaan-3 : नई दिल्ली। इसरो अपने तीसरे लूनर मिशन चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के लिए पूरी तरह तैयार है। इस मिशन को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई को प्रक्षेपण यान मार्क-3 (एलवीएम-3) से शुक्रवार दोपहर बाद 2:35 बजे लॉन्च करने की योजना है। इसका 24 घंटे का ‘लॉन्च रिहर्सल’ पूरा कर लिया गया है और अब बस इंतजार है इसके उड़ान भरने का। बता दें, चंद्रयान-2 मिशन के दौरान लैंडर को ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में सफलता नहीं मिल पाई थी।
यही वजह है कि चंद्रयान-3 को बेहद खास तरीके से डिजाइन किया है। इसरो इसे फेलियर बेस्ड डिजाइन या कहें ‘विफलता- आधारित डिजाइन’ बता रहा है, जिससे गड़बड़ी होने पर भी मून रोवर चांद पर सफलतापूर्वक लैंड कर सकेगा। इसके चांद को चूमते ही भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। अब तक अमेरिका, रूस और चीन ही यह करिश्मा कर पाए हैं।
सफलता के लिए इसरो ने कसी कमर
पिछली विफलता से उबरते हुए इस बार इसरो ने सफलता के लिए कमर कस ली है। चंद्रयान-3 में इसरो ने उसके इंजन और सॉफ्टवेयर को लेकर भी काम किया है। इसरो चीफ ने बताया कि इंजन में व्यवधान, थ्रस्ट व्यवधान, सेंसर विफलता आदि जैसी विफलताओं से बचने के लिए सॉफ्टवेयर में भी सुधार किया है। साथ ही, सेंट्रल या पांचवें इंजन को भी हटा दिया है, जिसे चंद्रयान -2 के दौरान अंतिम मिनट में जोड़ा गया था।
इस मर्तबा विक्रम के लेग्स हैं काफी मजबूत
पिछले चंद्रयान-2 की बजाय इस बार चंद्रयान-3 में विक्रम के लेग्स को काफी मजबूत बनाया गया है, ताकि वह पहले की तुलना में अधिक वेग से उतरने में सक्षम हो सके । लैंडर में बहुत सारे सुधार हुए हैं। इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बताया, ‘हमने लैंडिंग वेग को 2 मीटर/सेकं ड से बढ़ाकर 3 मीटर/सेकंड कर दिया है। इसका मतलब है कि 3 मी/सेकंड की गति पर भी, लैंडर दुर्घटनाग्रस्त नहीं होगा या इसके पैर नहीं टूटेंगे।’
चंद्रयान-2 का हिस्सा रहे एक अन्य वैज्ञानिक ने बताया, ‘लगभग 2 मीटर/सेकंड का लैंडिंग/टचडाउन वेग आदर्श और सुरक्षित है। और यह अच्छा है कि 3 मी/सेकेंड तक होगी, जिसका मतलब है कि अगर सबसे अच्छी स्थिति नहीं है, तो भी लैंडर अपना काम करेगा।’
अधिक ईंधन और नया सेंसर
अधिक व्यवधानों से निपटने के लिए विक्रम में अधिक फ्यूल जोड़ा गया है, जिससे यह वापस भी आ सके । सोमनाथ ने कहा, ‘हमने इसमें लेजर डॉपलर वेलोसिटी मीटर नामक एक नया सेंसर भी ऐड किया है, जो चांद की सतह को अच्छी तरह से देखेगा। लेजर सोर्स साउंडिंग के माध्यम से हम तीन वेग वैक्टर के कं पोनेंट्स को पाने में सक्षम होंगे।
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