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पेयजल समस्या से मिलेगी मुक्ति…अलवर, भरतपुर व धौलपुर के 2237 गांवों की प्यास बुझाएगा चंबल का पानी

अलवर, भरतपुर और धौलपुर जिले में व्याप्त पानी की समस्या का जल्द ही मुक्ति मिलेगी।
03:21 PM Jan 18, 2023 IST | Anil Prajapat
पेयजल समस्या से मिलेगी मुक्ति…अलवर  भरतपुर व धौलपुर के 2237 गांवों की प्यास बुझाएगा चंबल का पानी

अलवर। अलवर, भरतपुर और धौलपुर जिले में व्याप्त पानी की समस्या से जल्द ही मुक्ति मिलेगी। चंबल का पानी इन तीनों जिलों तक लाने की योजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है। एनसीआर परियोजना के तहत जलदाय विभाग ने इसके लिए डीपीआर तैयार की है, जो स्वीकृति के लिए भेजी गई। अगर सबकुछ ठीक रहा तो चंबल का पानी अलवर, भरतपुर और धौलपुर जिले के 2237 गांवों की प्यास बुझाएगा।

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माना जा रहा है कि इस साल गर्मी के दिनों में सिलीसेढ़ या चंबल से पानी लाने की योजना मूर्त रूप ना लें, लेकिन अगले साल गर्मियों तक चंबल के पानी के अलवर जिले सहित तीन जिलों के लोगों तक पहुंचने की उम्मीद है। अलवर शहर के लिए सिलीसेढ़ का पानी भी लाने की तैयारी है। अधीक्षण अभियंता एनसीआर कैलाश चंद मीणा ने बताया कि गर्मी में पानी के इंतजाम के लिए बेहद स्तर पर प्रपोजल तैयार किए गए हैं। अलवर शहर को दो भागों में बांटा गया है एक तो चंबल का पानी और ईशरदा नोरेदा बांध से पानी लाने का प्रस्ताव है।

5685 करोड़ रुपए की डीपीआर तैयार

चंबल का पानी अलवर सहित भरतपुर और धौलपुर के लिए 5685 करोड़ रुपए की डीपीआर तैयार की गई है, जिसे स्वीकृति के लिए भेजना है । चंबल का पानी 3 जिलों में लाने से 2237 गांव को फायदा होगा। जिनमें अलवर जिले के 882 गांव शामिल है और बाकी के गांव धौलपुर और भरतपुर में है। इसके लिए एक हजार आठ टंकियां बनाई जाएंगी। चंबल नदी पर ही पानी की डिग्गी तैयार होगी, जिसमें 9 महीने पानी को रिजर्व कर 3 महीने अलवर लाया जाएगा। जिसमें एक फिल्टर प्लांट भी लगाया जाएगा। यह 330 एमएलडी का होगा। इसके अलावा 611 किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइन लगेगी ।2047 किलोमीटर राइजिंग लाइन तैयार की जाएगी। इसके अलावा 2 लाख 78 हजार कनेक्शन जारी किए जाएंगे। हालांकि, 2805 सिंगल विलेज गांव में कनेक्शन स्वीकृत किए गए हैं। बाकी के लिए चंबल का पानी लाने के बाद कनेक्शन जारी होंगे।

इन ब्लॉक को योजना से जोड़ा

एनसीआर परियोजना के तहत चंबल का पानी अलवर जिले में आने से नीमराना, बहरोड़, तिजारा, बानसूर, मुंडावर, कोटकासिम, रामगढ़ और बानसूर ब्लॉक को शामिल किया गया है। इसके अलावा बहरोड़, कोटकासिम, किशनगढ़, मुंडावर, नीमराना और तिजारा कस्बे को भी योजना में शामिल किया गया है।

इन योजनाओं से भी अलवर को होगा फायदा

इसरता डैम से शेष बचे ब्लॉक कठूमर, रैणी, राजगढ़, लक्ष्मणगढ़, थानागाजी, उमरैण, नारायणपुर और अलवर शहर से जोड़ा जाएगा । इसरोता डैम के लिए भी डीपीआर तकनीकी कारणों से अटकी पड़ी है। नोरेना बांध से डीपीआर तैयार करने के लिए नेप सेम को आदेश दिया गया है, जो वाटर रिजर्व का प्रोजेक्ट तैयार होगा। इसके अलावा सिलीसेढ़ अलवर शहर में पानी लाने की स्कीम का प्रपोजल भी तैयार किया जा रहा है जिस पर 37 करोड़ रुपए खर्च होंगे। सिलीसेढ़ के सरप्लस पानी को अलवर लाया जाएगा । सिलीसेढ़ से 4 महीने पानी अलवर शहर के लिए लिया जाएगा उन्होंने बताया कि इन गर्मियों में तो नहीं अगली गर्मियों में पानी से जरूर पानी की समस्या से जरूर राहत मिलेगी।

4 हजार 718 करोड़ का बजट आने के बाद भी समाधान नहीं

बता दें कि चंबल का पानी अलवर लाने का मामला 10 साल से चल रहा है। हर चुनाव आने से पहले यही मुद्दा प्रमुखता से बनता है। इसके लिए विपक्षी पार्टियां एक-दूसरे सरकारों पर आरोप लगाती हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वर्ष 2019-20 के बजट में चंबल का पानी अलवर तक लाने के लिए 4 हजार 718 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया था। लेकिन, समस्या का हल आज तक नहीं हुआ है। यहां तक की गर्मियों के साथ-साथ सर्दियों में भी अलवर शहर में पानी की समस्या बढ़ती जा रही है और ग्रामीण लोगों को भूजल स्तर भी बहुत नीचे जा रहा है।

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